विभिन्न श्रेणी की भूमि संबंधित मामलों का निस्तारण करने के लिए राष्ट्रीय जन चेतना मंच ने नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरण अभियान के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इनमें क्षेत्र में थारू जनजाति की भूमि को सामान्य श्रेणी में दर्ज करने, काबिज लोगों को मालिकाना हक देने आदि मांगे शामिल है।
भूमि धरी अधिकार की मांग को लेकर राष्ट्रीय जन चेतना मंच ने आंदोलन की शुरुआत की है। हस्ताक्षर अभियान के तहत एक लाख लोगों के हस्ताक्षर करा कर मुख्यमंत्री को भेजे जाएंगे। क्षेत्र के 100 से अधिक स्थानों पर आंदोलन के समर्थन में जन जागरण सभाएं कर लोगों को जागरूक किया जाएगा। भू-माफियाओं को चेतावनी देते हुए विशन दत्त जोशी ने उनके षड्यंत्र कामयाम न होने देने की बात कही।
जिसमें कहा गया कि थारू समाज की भूमि परिवर्तन न होने के कारण कोड़ियों के दाम में बिक रही है। जबकि थारू समाज की भूमि से लगे काश्तकारों की भूमि महंगे दामों पर आसानी से बिक जाती है। इस कारण समाज के लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने थारू समाज की भूमि की जटिल प्रक्रिया को सामान्य श्रेणी में दर्ज करने की मांग की।बिशन दत्त जोशी ने कहा कि नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिवार हैं। जो बरसों से भूमि पर मकान बना कर रह रहे हैं, साथ ही व्यापार भी करते हैं। इस तरह के परिवारों को मालिकाना हक मिलना चाहिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में नौ बिंदुओं पर राष्ट्रीय जन चेतना मंच ने एक बड़े आंदोलन की घोषणा की है। मंच ने अपनी मांगों में स्टांप पर बिकी जनजाति समाज की जमीने या विभिन्न वर्गों में दर्ज जनजाति समाज की जमीने जो की गैर जनजाति समाज के लोगों के पास है उनको इन जमीनों का भूमि धरी अधिकार प्रदान किया जाए।
जनजाति समाज की जमीनों पर गैर जनजाति समाज के लोगों को बेचने का अधिकार अभी तक जनजाति समाज को प्राप्त नहीं है। जिस कारण से उन समाज के लोगों को उनकी जमीनों का वास्तविक मूल नहीं मिल पाता है। नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे ऐसे परिवार जो भी किसी भी तरह की भूमि पर अपना घर या दुकान बनाकर बरसों से व्यापार कर रहे। उन्हें भी उचित राजस्व लेकर सरकार उनको उनके आवास या दुकान की रजिस्ट्री करवाकर देने की प्रक्रिया प्रारंभ करें। स्थानीय नागरिकों की दिक्कत को देखते हुए जिला विकास प्राधिकरण को तुरंत समाप्त कर पूर्ववत व्यवस्था को लागू किया जाए।
उनकी मांग है कि क्षेत्र में ऐसे बहुत सारे किसान है जिन्होंने अपनी जमीने बेच दी हैं किंतु खतौनी में उनका नाम नहीं कटा है जिस कारण से वह बैंकों से मिलकर दलालों के माध्यम से ऋण ले लेते हैं। इस कारण से क्षेत्र के ऐसे काश्तकारों को जो भी इन जमीनों पर काबिज हैं आर्थिक क्षति व मानसिक उत्पीड़ना का सामना करना पड़ता है। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए. कि किसी भी तरह का ऋण उन किसानों को न मिले। जिन्होंने अपनी जमीने बरसो पहले बेच दी है।
नगरी क्षेत्रों में लीज नवीनीकरण न हो पाने के कारण स्थानीय जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है मंच ने मांग की है कि आवास दुकानों की लीज नवीनीकरण कराने हेतु सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण कर अपने आवेदन भी जमा करा रखे हैं।
(अतुल शर्मा की रिपोर्ट)