इराक की राजधानी बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर शुक्रवार को अमेरिकी हमले में ईरान की विशेष कुद्स सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई है। सुलेमानी की मौत का असर भारतीय शेयर बाजारों के साथ-साथ तमाम एशियाई बाजारों पर भी पड़ रहा है। इसके साथ ही इसका असर भारत में पेट्रोल डीजल और गैस की कीमतों पर भी पड़ रहा है।
एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड का दाम सितंबर से ही ऊंचे स्तर पर बना हुआ है तो वहीं सुलेमानी की मौत के बाद बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि तेल के दाम में और तेजी आ सकती है। जिसकी वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल समेत तमाम पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में इजाफा हो सकता है। वहीं, नए साल में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई।
अमेरिका और ईरान के बीच इस हाई टेंशन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई और व्यापार घाटे के तौर पर नजर आ सकता है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से देश में महंगाई बढ़ सकती है। अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी नजर आ रही है। शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमतों में 4 प्रतिशत से अधिक की तेजी दर्ज की गई है। ब्रेंट कच्चा तेल 4.4 प्रतिशत बढ़कर 69.16 डॉलर प्रति बैरल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल 4.3 प्रतिशत बढ़कर 23.84 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। 17 दिसंबर 2019 के बाद से अब तक का यह अधिकत दाम है।
क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) दो तरह का होता है, एक है ब्रेंट क्रूड जो लंदन में ट्रेड होता है, और दूसरा WTI जोकि अमेरिका में ट्रेड होता है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि ब्रेंट क्रूड का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकता है।
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में तेल की कीमतें बढ़ने से मौजूदा घाटा भी बढ़ सकता है क्योंकि तेल का आयात दर बढ़ जाएगा। रुपए का एक्सचेंज रेट भी गिर सकता है।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो ईरान में अमेरिका के इस हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान की ओर से अगर बदले की किसी भी तरह की कोई कार्रवाई की जाती है तो इसमें ईराक के साथ साथ पूरे मिडिल ईस्ट को नुकसान पहुंचेगा। क्योंकि ईरान के जनरल पर हमला कर अमेरिका एक तरह से युद्ध का ऐलान कर दिया है।
अमेरिका-ईरान के इस हाई टेंसन के बीच भारत-ईरान के चाबहार प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है। दरअसल, भारत पाकिस्तान को किनारे कर अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के मार्केट में पहुंच बनाने के लिए इस प्रोजेक्ट की पहल की थी। अफगानिस्तान में भारतीय सप्लाई पहुंचाने के लिए चाबहार प्रोजेक्ट बेहद अहम है। अगर अमेरिका और ईरान की जंग हुई तो भारत के इस प्रोजेक्ट पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है।