नई दिल्ली : लंबी बीमारी के कारण अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा का सोमवार सुबह गुरूनानक अस्पाताल में निधन हो गया। बता दें कि जब गोपाल भेंगरा बीमार थे तब उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं था। इस वजह से उन्होंने सरकार से मदद की गुहार भी लगायी थी।
सेना के अस्पाताल में भी नहीं हो सका इलाज
बता दें कि गोपाल भेंगरा के पास जरूरी कागजात नहीं होने से उन्हें कैंटीन की भी सुविधा नहीं मिली थी, इसलिए वह सेना के अस्पाताल भी नहीं गये। उनके दो बेटे थे, और दोनों बेरोजगार थे।
1978 विश्व कप में थे भारतीय टीम का सदस्य
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा आर्मी में थे। वहीं से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। 1978 के विश्व कप में वे भारतीय टीम के सदस्य थे। विश्व कप में वे अर्जेंटीना और पाकिस्तान के विरुद्ध खेल चुके थे। गोपाल ने बताया था कि उनका चयन ओलंपिक हॉकी के लिए भी हुआ था, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं जा सके थे। 1979 में आर्मी से वापस आने के बाद मोहन बागान की टीम से बतौर कप्तान हॉकी खेली। 1986 में वे गांव लौट गये। पेंशन के रूप में मिलने वाली थोड़ी पैसे से ही उनका गुजारा चलता था।
डॉक्टरों ने भी स्थिति गंभीर बतायी गयी थी
जब उन्हें अस्पाताल लाया गया था उनका इलाज कर रहे डॉक्टर विजय राज ने बताया था कि उनका ब्रेन हेमरेज हुआ है और एक किडनी भी खराब है। उसी वक्त उनकी स्थिति गंभीर बताई गयी थी।
सुनील गावस्कर करते थे मदद
गोपाल भेंगरा गांव के पास पत्थर तोड़ने का काम करते थे। इस संबंध में खबर प्रकाशित हुई तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने उनकी मदद की थी। उनकी संस्था चैंप्स द्वारा उन्हें हर माह 7500 रुपये भेजी जाती थी। साल 2017 में जब सुनील गावस्कर रांची में हो रहे टेस्ट मैच के दौरान कॉमेंट्री करने पहुंचे थे। उस वक्त तोरपा के पत्रकारों की मदद से वे सुनील गावस्कर से मिल पाये थे। तब गावस्कर ने उन्हें इंडिया टीम की जर्सी भेंट की थी। गावस्कर से मिलकर वह बेहद खुश हुए थे।
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारतीय पुरूष हॉकी टीम और महिला हॉकी टीम दोनों ने जहां सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा। वहीं पुरूष हॉकी टीम ने एक ब्रॉन्ज पदक भी हासिल की।