नई दिल्ली : पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC), येस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों के परेशान ग्राहकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने डीआईसीजीसी कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब इसके बारे में बिल को संसद में रखा जाएगा। इससे किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन के भीतर मिल जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) कानून में संशोधन के साथ जमा बीमा का दायरा बढ़ जाएगा और इसके अंतर्गत 98.3 प्रतिशत बैंक खाताधारक पूरी तरह संरक्षित हो जाएंगे। सीतारमण ने कैबिनेट बैठक के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि इस विधेयक को मौजूदा मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।
सीतारमण ने कहा कि मंत्रिमंडल ने कारोबार को और सुगम बनाने को लिये सीमित जवाबदेही भागीदारी (एलएलपी) कानून में संशोधन को मंजूरी दी। इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों के पैसे की सुरक्षा मिलेगी। इसके मंजूर होने के बाद किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन की सीमा के भीतर मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत कॉमर्शियली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक क्यों न हों। वित्त मंत्री ने बताया कि इस तरह के बीमा के लिए प्रीमियम बैंक देता है, ग्राहक नहीं।
आपको बता दें कि DICGC असल में भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक जमा पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है। अभी तक नियम यह था कि जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये का बीमा होने पर भी तब तक पैसा नहीं मिलेगा,जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता। इसकी वजह से लंबे समय तक उन्हें एक पैसा नहीं मिलता। लेकिन एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को राहत मिलेगी।
पांच लाख का बीमा
DICGC ही यह सुनिश्चित करता है कि किसी बैंक के बर्बाद होने पर उसके जमाकर्ताओं को कम से कम पांच लाख रुपये की राशि वापस की जाए। पहले यह बीमा राशि सिर्फ 1 लाख रुपये ही थी, लेकिन मोदी सरकार ने पिछले साल ही इसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है।