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भदोही में BJP अपने ही विधायक से हुई चित्त, पार्टी ने प्रत्याशी से समर्थन लिया वापस

By: RNI Hindi Desk 
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भदोही में BJP अपने ही विधायक से हुई चित्त, पार्टी ने प्रत्याशी से समर्थन लिया वापस

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

भदोही: जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी सभी पार्टियों की साख बन गया है। ज्यादा से ज्यादा सीटों पर भाजपा की जीत तय हो गई है। बात करें भदोही जिले की तो यहां BJP के ही स्थानीय विधायक रवींद्र त्रिपाठी पार्टी पर भारी पड़ गए हैं। विधायक के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी के भी जिला पंचायत अध्यक्ष के मैदान में उतरने से भाजपा ने अपने ही प्रत्याशी अमित सिंह से पर्चा वापस ले लिया है।

आपको बता दें कि निर्धारित समय खत्म होने के कारण अमित सिंह का पर्चा वापस नहीं हो सका। ऐसे में अब अमित सिंह बतौर निर्दल प्रत्याशी मैदान में रहेंगे। उनका मुकाबला भाजपा विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्व त्रिपाठी के साथ होगा। यहां सपा की ओर से किसी ने पर्चा नहीं भरा था।

भाजपा जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर अमित सिंह को पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया था। अब प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर ही अमित सिंह से समर्थन वापस लिया जा रहा है। भाजपा फिलहाल किसी को यहां समर्थन नहीं दे रही है। अमित सिंह ने अपना पर्चा वापस नहीं लिया है ऐसे में स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में अब वह मैदान में हैं।

भाजपा विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी के भाई को समर्थन के सवाल पर उन्होने कहा कि पार्टी की ओर से उन्हें भी समर्थन नहीं दिया जा रहा है। दोनों प्रत्याशी अब स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। भदोही में समाजवादी पार्टी की घोषित प्रत्याशी श्याम कुमारी मौर्य ने नामांकन पर्चा नहीं भरा था। भाजपा की ओर से अमित कुमार सिंह और निर्दल प्रत्याशी के रूप में भाजपा के विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी के अलावा भाजपा विधायक के भतीजे चंद्र प्रकाश त्रिपाठी ने भी नामांकन दाखिल किया था। चंद्र प्रकाश त्रिपाठी ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। ऐसे में मुकाबला अमित सिंह और अनिरुद्ध त्रिपाठी के बीच होगा।

BJP विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी शनिवार को अपने भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी का नामांकन कराने के लिए कलेक्ट्रेट खुद पहुंचे थे। तभी से किसी बड़े खेल की आशंका जताई जा रही थी। विधायक के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी भले ही निर्दल उम्मीदवार के रूप में अब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन पार्टी व संगठन के कद्दावर नेता उनके साथ हैं। कयास लगाया रहा है कि अनिरुद्ध के जीतने पर उन्हें भाजपा में शामिल कर लिया जाएगा।

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