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एक साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति APJ Abdul Kalam कैसे बन गया मिसाइल मैन ! पढ़िए

By: RNI Hindi Desk 
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एक साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति APJ Abdul Kalam कैसे बन गया मिसाइल मैन ! पढ़िए

अगर सूरज की तरह चमकना है तो पहले सूरज की तरह तपना सीखो” .यह एक सिर्फ आदर्श बातें नहीं बल्कि एक जीवन का पूरा सच छुपा है वह शख्स जो सूरज की तरह तपा भी और चमका भी, वह शख्स साधारण भी है और महान भी।

एक साधारण परिवार में जन्मा वह लड़का ….गरीबी की ऑच में तपकर..पेपर बेंच कर ..पढ़ाई करने वाला साधारण बालक दुनिया में मिसाइल मैन के नाम से जाना गया…अब आप समझ गये होंगे हम बात कर रहे भारत रत्न ए पी जे अब्दुल कलाम के बारे में।

जिनकी जीवन ही दुनिय़ा को एक सीख देता है हम उनके जीवन के कुछ अनकहे पन्नों को आपको बतायेंगे।

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था. पिता नाविक का काम करते थे और ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं थे. वह मछुआरों को नाव किराये पर देते थे. अब्दुल कलाम का बचपन गरीबी और संघर्षों से गुजरा था.

पांच भाई और पांच बहनो के परिवार को चलाने के लिए उनके पिता को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. ऐसे में होनहार और होशियार अब्दुल कलाम को अपनी शुरूआती शिक्षा को जारी रखने के लिए अखबार बेचने का काम करना पड़ता था।

बता दें कलाम जी का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। आठ वर्षीय बालक कलाम सुबह चार बजे उठ जाया करते थे. इसके बाद अपने नित्य क्रिया कर के गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. ट्यूशन से आने के बाद कलाम सीधे रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जाते और बस अड्डे पर अखबार बांटने लगते थे.

समुद्र के करीब उनका घर था और उनकी इच्छाएं आकाश से आगे थीं। वह अपने पूरे जीवन काल में खुद में समुद्र की गहराई समेटे रहे और आकाश से आगे के रहस्य जानने की अपनी इच्छा को भी पूरा किया। उनका जीवन खुद में ही एक पाठशाला है।

डॉ. कलाम का सपना पायलट बनने का था, लेकिन वो पूरा नहीं हो सका. फाइटर पायलट बनने के लिए जो टेस्ट हुआ इसमें उनका 9वां रैंक आया था जबकि 8वीं रैंक तक के ही लोगों को ही इसके लिए लिया गया था। ये वो पल था जब उनको बहुत निराशा हुई लेकिन उन्‍होंने इस निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और वैज्ञानिक बनने की ठान ली।

अपनी पहली जीत के बाद आराम मत करो क्यों कि अगर आप दूसरी बार फ़ेल हो गए तो अधिकतर लोग कहेंगे कि आपकी पहली जीत केवल भाग्य से मिली थी”।ये कलाम जी के ही शब्द है।

मिसाइल मैन का जिक्र आते ही बस एक ही नाम जहन में आता है वो है पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम का। भारत के मिसाइल प्रोग्राम को ऊंचाईयों तक पहुंचाने में उनका योगदान अतुलनीय है। विज्ञान और वैज्ञानिकों के प्रति उनका लगाव ही था

करीब चार दशकों तक डीआरडीओ व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को संभाला था। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास कार्यों के लिए भारत में डॉ ए. पी. जे अब्दुल कलाम को ‘मिसाइल मैन’ की उपाधि से नवाजा गया।

त्रिशूल, पृथ्वी, अग्नि जैसे मिसाइलों को बनाया और उन्हे उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया, ‘भारत रत्न’ उनमें से एक है।

साल 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम ने भारी मतों से राष्ट्रपति चुनाव जीता। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक रहा। उन्हें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला। उनके लिए यह एक आसान जीत थी और वे देश के 11वे राष्ट्रपति बने।

आखिरी दिनों में उनके स्वाभाव का एक किस्सा सामने आता जो उनके शालीनता को बताता है … राष्‍ट्रपति पद से हटने के बाद वर्ष 2015 में वह शिलांग गए थे। यहां पर उन्‍हें लेक्‍चर देना था। उनके इस काफिले में सबसे आगे गाड़ी पर एक जवान हाथ में राइफल लिए चल रहा था।

कलाम ने लंबे समय तक सुरक्षा में खड़े इस जवान को वायरलैस से मैसेज भेजा कि वो बैठ जाए। लेकिन जवान ने ये कहते हुए उनका अनुरोध ठुकरा दिया कि उनकी सुरक्षा की जिम्‍मेदारी उस पर है लिहाजा वो इसको नहीं मान सकता है।

इस बात से कलाम जवान के इस कदर मुरीद हुए की उन्‍होंने उस जवान को अपने रूम में बुलाया और कहा Thank you buddy। यह उस जवान के लिए किसी अनमोल तोहफे से कम नहीं था।

कलाम को 27 जुलाई को आईआईएम, शिलांग में ‘Creating a liveable planet’ पर लेक्‍चर देना था। इसी लेक्‍‍‍‍चर को देते हुए वो गिर पड़े थे, जिसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया था। वहां पर उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया।

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