रिर्पोट: अनुष्का सिंह
देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को केदारनाथ में पूजा-अर्चना की, और तीर्थ पुरोहितों से वादा किया कि अगर वे सत्ता में आए तो वे चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देंगे। बता दे कि इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के माथे पर चंदन का लेप और हाथ में एक त्रिशूल था, रावत ने भीमंदिर के बाहर ‘शिव तांडव स्तोत्रम’ के मंत्रों के साथ एक तपस्वी के बगल में नृत्य भी किया।
बाद में कांग्रेस नेता ने केदारनाथ की अपनी यात्रा के कई वीडियो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट की। केदारनाथ में पत्रकारों से बात करते हुए हरीश रावत ने कहा कि केदारपुरी में किए गए अधिकांश पुनर्निर्माण कार्य मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए थे। उन्होंने कहा, “हालांकि, वर्तमान सरकार ने उन पर अपनी मुहर लगाने और उन्हें अपना मानकर पेश करने के लिए कार्यों में सतही बदलाव किए हैं।”
सत्ता में दोबारा चुने जाने पर उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि वह पहले अपने अधूरे काम को पूरा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हक-हकूकधारी और पुजारियों के पारंपरिक अधिकार बरकरार रहें।
आपको बता दे कि पूछे जाने पर, कि क्या वह देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देंगे, तो उन्होंने कहा कि, “हमारी तरफ से, यह भंग है”। रावत के बगल में खड़े तीर्थ-पुरोहितों ने नारे लगाते हुए जोर-जोर से जयकारों के साथ उनकी घोषणा का स्वागत और कहा कि “हरीश रावत तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं।”
बता दे कि उत्तराखंड सरकार ने साल 2019 में विश्व विख्यात चारधाम समेत प्रदेश के अन्य 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया। लेकिन बोर्ड के गठन के बाद से ही लगातार धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। साथ ही तीर्थ पुरोहित त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद से ही वह इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह मंदिर पर उनके पारंपरिक अधिकारों का अतिक्रमण था। बोर्ड के खिलाफ उनके लंबे आंदोलन से प्रेरित होकर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मुद्दे को देखने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करना पड़ा।
पैनल ने सभी हितधारकों से बात की और सोमवार को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी। हालांकि, समिति की सिफारिशों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।