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अफगानिस्तान में बढ़ते तालिबान के दखल को लेकर भारत सरकार का बड़ा फैसला, किया जा रहा इस योजना पर अमल

By: Amit ranjan 
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अफगानिस्तान में बढ़ते तालिबान के दखल को लेकर भारत सरकार का बड़ा फैसला, किया जा रहा इस योजना पर अमल

नई दिल्ली : अमेरिकन प्रेसिडेंट जो बाइडेन द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाये जाने के ऐलान के बाद अफगानिस्तान में दिन प्रतिदिन तालिबान का दखल बढ़ता जा रहा है और उसने उत्तर अफगानिस्तान के कई जिलों पर अपना कब्जा कर लिया है। अधिकारियों और रिपोर्टों के मुताबिक उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से कई देश चिंतित हैं। कुछ देशों ने तो उत्तरी अफगान में स्थित अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया है, जबकि ताजिकिस्तान ने अपनी सीमा पर सुरक्षा बंदोबस्त पुख्ता करने के लिए सैन्य बलों की तैनाती बढ़ा दी है। तालिबान के बढ़ते प्रभाव से भारत भी चिंतित है और अफगानिस्तान में तैनात अपने अधिकारियों और नागरिकों को निकालने की तैयारी में है।

अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर तालिबान के कब्जे से सुरक्षा की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। ऐसे में भारत काबुल और अन्य शहरों से अपने नागरिकों और अधिकारियों को निकालने जा रहा है। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि, “भारत ने अफगानिस्तान के काबुल, कंधार और मजार शरीफ में मौजूद अपने स्टाफ और अन्य कर्मियों को निकालने की योजना तैयार की है।”

सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान के शहरों और भीतरी इलाकों में बिगड़ते मौजूदा सुरक्षा हालात के कारण दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों का संचालन मुश्किल होता जा रहा है। अफगान अधिकारी खुद तालिबान के हमले के खौफ से अपने सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों से जान बचाकर भागने लगे हैं।

अफगानिस्तान में भारत के पहले चार वाणिज्य दूतावास थे, जो काबुल में दूतावास के साथ जुड़े हुए थे। इसमें एक सैन्य कार्यालय भी था। वहां तैनात सैन्य अधिकारी अफगानिस्तान की सेना और पुलिस बलों के प्रशिक्षण में मदद कर रहे थे।

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पूरा भारतीय स्टाफ वापस आएगा या कुछ वहीं रहेंगे, लेकिन उन्हें निकालने की योजना पर काम चल रहा है। भारतीयों को जल्द ही अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा।

अफगानिस्तान के जलालाबाद और हेरात शहर में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास कुछ समय पहले ही बंद हो गए थे, जबकि कंधार और मजार शरीफ में दूतावास चल रहे हैं। भारत अफगानिस्तान को विकास कार्यों में मदद कर रहा है, इसलिए संबंधित भारतीय अधिकारियों और अन्य कर्मियों को वहां तैनात किया गया है।

दरअसल, अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी का ऐलान किया था। इसके बाद, नाटो ने भी अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने का फैसला किया। विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान अफगानिस्तान में अपना विस्तार कर रहा है और अब तक वो कई हिस्सों पर कब्जा भी कर चुका। वहीं वैश्विक ताकतों ने तालिबान के साथ बातचीत शुरू कर दी है, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। यहां तक कि अफगान सुरक्षा बलों के कर्मी भी तालिबान का दामन थाम रहे हैं।

तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के कई जिलों पर कब्जा कर लिया। तालिबान के डर से इन इलाकों में तैनात अफगानी बल के जवान मंगलवार को भाग कर ताजिकिस्तान चले गए। तालिबान लड़ाकों के सीमा की ओर बढ़ने के साथ ही अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत से 300 से अधिक अफगान सैन्यकर्मी जान बचाकर भाग खड़े हुए।

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ताजिकस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए 20,000 जवानों को तैनात करने का आदेश दिया है। वहीं मजार-ए-शरीफ में स्थित तुर्की और रूस के वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए गए हैं। ईरान ने भी अपने वाणिज्य दूतावास में काम बंद कर दिया है।

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