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राष्ट्रपति ट्रंप की पाबंदी पर जर्मन चांसलर ने जताई चिंता, कहा समस्या पैदा करने वाला…

By: RNI Hindi Desk 
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राष्ट्रपति ट्रंप की पाबंदी पर जर्मन चांसलर ने जताई चिंता, कहा समस्या पैदा करने वाला…

नई दिल्ली : 6 जनवरी को यूएस कैपिटल पर ट्रंप समर्थकों द्वारा हमला करने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीटर और फेसबुक के जरिये विवादित वीडियो शेयर किया था, जिसे लेकर इन दोनों ने कार्रवाई करते हुए ट्रंप के एकाउंट को सस्पेंड कर दिया। आपको बता दें कि फेसबुक और ट्वीटर के इस कदम का जहां दुनियां के अधिकतर देशों ने समर्थन किया। वहीं जर्मन चांसलर एंगेला मार्केल ने चिंता जाहिर की।

जर्मनी की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रवक्ता स्टीफन सीबर्ट ने कहा कि चांसलर का मानना है कि ट्रंप के अकाउंट पर स्थायी रूप से बैन लगाना समस्या पैदा करने वाला है। उन्होंने कहा कि, “विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूल अधिकार है। इसे देखते हुए चांसलर का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को स्थायी रूप से सस्पेंड किया जाना समस्याजनक है।”

प्रवक्ता सीबर्ट ने कहा कि, “चांसलर इस बात से पूरी तरह सहमत है कि ट्रंप की अनुचित पोस्ट को लेकर चेतावनी जारी किया जाना बिल्कुल सही है। हालांकि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी तरह की पाबंदी कानून के जरिए लगाई जानी चाहिए, ना कि निजी कंपनियों द्वारा।” वहीं जर्मनी की संसद की डिजिटल मामलों की कमिटी के सदस्य जिमरमैन ने अखबार डैचे वैले से कहा कि, “ट्रंप के अकाउंट पर बैन समस्या पैदा करने वाला है क्योंकि हमें ये पूछना होगा कि इसका आधार क्या है। आखिर किस कानून के आधार पर किसी अकाउंट को सस्पेंड किया जा सकता है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स की इस तरह की कार्रवाई के भविष्य के लिए क्या मायने होंगे?”

जिमरमैन ने कहा कि, “हम एक लोकतांत्रिक देश के प्रमुख के बारे में बात कर रहे हैं. जाहिर तौर पर, ट्रंप जर्मनी में बेहद लोकप्रिय नहीं थे। लेकिन ये चुनाव जीतने वाले किसी भी और नेता के साथ हो सकता है।” उन्होंने कहा कि जब एक कंपनी का सीईओ यानी एक व्यक्ति किसी देश के नेता को लाखों लोगों को पहुंचने से रोकता है तो ये एक बड़ी समस्या है।

उन्होंने आगे कहा कि, “हमें इसे लेकर रेगुलेशन बनाने होंगे. हमें इन प्लैटफॉर्म्स की ताकत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। मुझे इसमें कोई हैरानी की बात नहीं लगती है कि जब ट्रंप के कार्यकाल में सिर्फ 12 दिन रह गए थे तो ट्विटर इस समाधान के साथ सामने आया. फेसबुक पर भी यही लागू होता है।” आपको बता दें कि जर्मनी के अलावा यूरोप के अन्य देशों ने भी सोशल मीडिया कंपनियों के प्रभाव और उसकी ताकत को लेकर चिंता जाहिर किया है।

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