रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि इन 3 बातों को ध्यान में रखकर जान सकते हैं कौन आपका सच्चा मित्र है और कौन नहीं?
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि व्यक्ति का सच्चा मित्र वही होता है जो अपने मित्र को सही मार्ग दिखाए। जो मित्र आपको गलत कार्य करने से रोके और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे वही सही मायने में सच्चा मित्र होता है। वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति आपकी हर बात में केवल हां में हां मिलाए और कुछ गलत करने पर भी आपको न टोके वह सच्चा मित्र नहीं हो सकता है।
इसके साथ ही उन्होने बताया है कि जो व्यक्ति आपका धन नष्ट हो जाने पर भी आपके साथ कहीं जाने पर लज्जित न महसूस करे। अपने पद और धन पर घमंड न करे। वही सच्चा मित्र होता है। जो अपने पद और धन का अहंकार करते हैं और निर्धन मित्र के साथ रहने से कतराते हैं, उन्हें के धन से लगाव होता है। वे कभी सच्चे मित्र नहीं हो सकते हैं।
आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों का दुख समझता है और विनम्र हृदय का होता है, वह एक अच्छा मित्र साबित होता है। ऐसा व्यक्ति आपका हर परिस्थिति में साथ देने के लिए तत्पर रहता है और सच्चा मित्र वही होता है जो अच्छी और बुरी दोनों परिस्थितियों में आपका साथ दे।