उत्तर प्रदेश जिलाधिकारी नकुड़ एवं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल ने किसानों का आह्वान किया है कि वह फसल अवशेष जलाने से बचे। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से जहां भूमि की उवर्रकता क्षमता प्रभावित होती है।
साथ ही खेती में सहायक मित्र कीट भी समाप्त हो जाते है। उन्होंने सैटेलाइट रिपोर्ट के आधार पर नकुड़ क्षेत्र में 4 लोगों के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए सम्बधिंत लेखपाल और ग्राम प्रधान का जवाब तलब किया है।
उन्होंने सभी तहसलीदारों व लेखपालों को निर्देश दिए है कि फसल अवशेष जलाने वाले लोगों को चिन्हित कर प्रभावी कार्रवाही की जाएं।
हिमांशु नागपाल ने सैटेलाइट से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर तहसील क्षेत्र में 4 लोगों के द्वारा पराली जलाने की सूचना पर तत्काल कार्रवाही करते हुए एफ.आई.आर. दर्ज कराई है।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अब तक तहसील क्षेत्र में 47 लोगों पर पराली जलाने को लेकर जुर्माना लगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पराली या गन्ने की पाती जलती हुई पाई जायेगी तो सम्बधिंत व्यक्ति के साथ ही क्षेत्र के लेखपाल तथा ग्राम प्रधान के विरूद्ध भी कार्रवाही होगी।
उन्होंने कहा कि पराली जलाना बंद कर दिया जाए तो इससे न सिर्फ पैसों की बचत होगी बल्कि उत्तर भारत में समय से पहले हो रही मौत और विकलांगता के आंकड़ों को भी कम किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि यदि किसान अपने खेत में पराली अथवा गन्ने की पाती जला रहा है तो 2500 रूपये प्रति घटना से लेकर अधिकतम 15000 रूपये तक का आर्थिक दण्ड तथा आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है।
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खेतों में पराली व गन्ने की पाती न जलाएं।
उधर इस पूरे मामले में किसानों का कहना है कि प्रशासन किसानों को परेशान करने का काम कर रहा है। किसानों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए भी है। लेकिन उसको लेकर सरकार के नुमाइंदे बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। किसानों का कहना है कि सरकार के नुमाइंदों को बड़े-बड़े भट्टों और मीलों से निकलता हुआ धुआं नहीं दिखाई देता। सेटेलाइट केवल किसान के द्वारा जलाई गई पराली के धुएं को ही कैच करता है।