फैक्ट्री में मुश्किल से पचास फीसदी तक ही उत्पादन हो पा रहा है। टेक्नीकल कर्मचारी की कमी से कच्चे माल की आपूर्ति की कमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यम वर्गीय इंडस्ट्री है। लॉकडाउन में उद्योगों में उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। उद्योगों को टेक्नीक्ल कर्मचारियों की कमी बनी हुई है।
कोरोना काल की वजह से इंडस्ट्री में उत्पादन रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। औद्योगिक इकाइयों में कोविड जांच के बाद पॉजिटिव मामले पाए जाने पर प्लांट को बंद करना भी मजबूरी बन रहा है। पॉजिटिव कर्मचारी व उसके परिवार का खर्चा उठाना इंडस्ट्री को महंगा पड़ रहा है। अधिकांश इकाइयों के पास ऑर्डर नहीं है। फार्मा इंडस्ट्री को छोड़कर इलेक्ट्रॉनिक, फोर व्हीलर व ऑटो सहित अन्य उद्योगों में पचास फीसदी तक उत्पादन हो रहा है।
उद्योगों से माल की जो डिलीवरी भेजी गई है, उसका भुगतान भी समय से नहीं हो पा रहा है। उद्यमी विशाल बाटला का कहना है कि इंडस्ट्री को पटरी पर लाने के लिए सरकार को आर्थिक मदद करनी होगी। पॉजिटिव कामगार और उनके परिवार के खर्चे को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही कुशल कामगारों की वापसी के लिए भी नीति बनानी होगी।
बहादराबाद इंडस्ट्रियल एरिया के अध्यक्ष साधू राम सैनी का कहना है कि लॉकडाउन अवधि में एक माह तक उद्योगों के बंद रहने और तकनीकी कर्मचारी के काम पर ना लौटने के कारण उद्योगों में उत्पादन पटरी पर नहीं आया है।