मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार द्वारा जैन समाज कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सीएम की सराहना की है। शास्त्री ने इस पहल को सराहनीय बताते हुए कहा कि जैसे वक्फ बोर्ड हो सकता है, उसी तरह भारत में सनातन हिंदू बोर्ड का गठन भी होना चाहिए।
प्रवचन में शास्त्री की मांग: हिंदू बोर्ड बनाने की मांग
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर से तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल पर आज फिर बयान दिया है। मंगलवार को अपने प्रवचन के दौरान शास्त्री ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और इसे सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं के खिलाफ बताया। उन्होंने प्रसाद की पवित्रता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह धार्मिक आस्था के लिए गंभीर मुद्दा है। प्रवचन के दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत सरकार से यह मांग उठाई कि जब वक्फ बोर्ड का गठन हो सकता है, तो सनातन हिंदू बोर्ड क्यों नहीं बनाया जा सकता? उन्होंने कहा कि यह बोर्ड सनातन धर्म के मंदिरों और पूजा-पाठ की वस्तुओं की पवित्रता को सुनिश्चित करेगा, साथ ही धर्म विरोधी ताकतों को रोकेगा।
मंदिरों की सेवा के लिए जरूरी कदम
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि हिंदू मंदिरों में सेवा और पूजा की जिम्मेदारी धर्म समर्थकों के हाथ में होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म विरोधी और नास्तिक लोगों द्वारा मंदिरों की देखभाल धर्म भ्रष्टता की ओर ले जा सकती है, इसलिए यह ज़रूरी है कि हिंदू बोर्ड के माध्यम से धार्मिक स्थलों का प्रबंधन हो।
CM की जैन समाज बोर्ड पहल की प्रशंसा
शास्त्री ने जैन समाज कल्याण बोर्ड के गठन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल की सराहना की और इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल सभी धर्मों के लिए सकारात्मक और संतुलित नीति का प्रतीक है।
धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू बोर्ड की मांग को फिर से जोर देकर उठाया। उन्होंने कहा कि अगर वक्फ बोर्ड हो सकता है तो सनातन धर्म के मंदिरों और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए हिंदू बोर्ड का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा बोर्ड धार्मिक स्थलों के संचालन में पारदर्शिता और पवित्रता सुनिश्चित करेगा और धर्म विरोधी तत्वों से सुरक्षा प्रदान करेगा।
शास्त्री ने यह भी कहा कि हिंदू मंदिरों में केवल धर्म के अनुयायी ही सेवा और प्रबंधन का कार्यभार संभालें ताकि पूजा-पाठ और धार्मिक प्रक्रिया सही ढंग से संपन्न हो सके।