नई दिल्ली : देश में जारी कोयला संकट की समस्या लगातार बनी हुई है, जो लगातर प्रोडक्शन के बाद भी सामान्य नहीं हो पा रहा है। आपको बता दें कि देश में 135 पावर प्लांट ऐसे हैं, जहां कोयले से बिजली बनाई जाती है और सरकार के आंकड़े बताते है कि इनमें से 18 प्लांट में कोयला पूरी तरह खत्म हो चुका है। वहीं सिर्फ 20 प्लांट ही ऐसे हैं जहां 7 दिन या उससे ज्यादा का स्टॉक बचा है।
आपको बता दें कि बीते रविवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोयले का संकट होने की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया था। हालांकि, उन्होंने ये बात जरूर मानी थी कि पहले जहां प्लांट में 17-17 दिन का स्टॉक हुआ करता था, वहां अब 4-5 दिन का ही स्टॉक है। उन्होंने कहा था कि जल्द ही इस संकट को दूर कर लिया जाएगा।
वहीं, बिजली मंत्रालय की आंकड़ों की मानें तो 12 अक्टूबर तक देश में 18 प्लांट ऐसे थे जहां एक भी दिन का स्टॉक नहीं था। वहीं, 26 प्लांट में एक दिन का ही स्टॉक बचा था। जबकि, 5 प्लांट में 7 और 15 में ही 7 दिन से ज्यादा का स्टॉक था। आपको बता दें कि देश में ये स्थिति तब हो रही है जब इस साल कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन किया है।
जानकारी के मुताबिक, इस साल अगस्त से सितंबर तक कोल इंडिया ने 249.8 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है, जो पिछली साल की समान अवधि में हुए उत्पादन से 13.8 मिलियन टन ज्यादा है।
लेकिन फिर भी ये संकट क्यों? तो इस बारे में सरकार का कहना है कि कोविड की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार आया है जिससे बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। साथ ही विदेशों से आने वाले कोयले की कीमत बढ़ गई, जिससे आयात प्रभावित हुआ है।
इसके अलावा कोयला खदानों के आसपास बारिश होने से उत्पादन प्रभावित हुआ है। हालांकि, इस बीच एक बात ये भी निकल कर सामने आ रही है कि इसी साल मार्च में पावर प्लांट्स को कोयले का स्टॉक रखने की सलाह दी गई थी, लेकिन इस सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया।