नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच रेमडेसिविर दवा की मांग तेजी से बढ़ रही है। अधिकांश राज्यों में आसानी से यह इंजेक्शन नहीं मिल रहा है और लोग महंगे दाम पर इसे खरीदने को मजबूर हैं। कहीं 20 हजार और कहीं 40 हजार जिस कीमत में भी लोगों को यह दवा मिल रही है लोग इसे खरीदने को मजबूर हैं। लेकिन इन किल्लतों के बीच जो सबसे बड़ी बात सामने आ रही है कि इन दवाइयों की ना सिर्फ कालाबाजारी हो रही है, बल्कि बाजार में धड़ल्ले से नकली रेमडेसिविर भी बेची जा रही है। अगर आप खरीदने में जरा सी चूक कर बैठते हैं तो आपके हाथ में रेमडेसिविर की नकली दवा ही लगेगी। लेकिन थोड़ी सी सावधानी रखेंगे तो असली और नकली दवा को पहचान सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे करें असली-नकली रेमडेसिविर की पहचान…
ऐसे करें पहचान
रेमडेसिविर के पैकेट के ऊपर की कुछ गलतियों के बारे में पढ़कर असली और नकली के फर्क को जान सकते हैं। 100 मिलीग्राम का इंजेक्शन सिर्फ पाउडर के तौर पर ही शीशी में रहता है। सभी इंजेक्शन 2021 में बने हैं। इंजेक्शन के सभी शीशी पर Rxremdesivir लिखा रहता है। इंजेक्शन के बॉक्स के पीछे एक बार कोड भी बना होता है। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने भी इसको लेकर ट्वीट किया है। उनकी ओर से बताया गया है कि कैसे असली और नकली दवा की पहचान करें।
Rx का अंतर
जब आप मार्केट में रेमडेसिविर खरीदने जाएंगे तो उसके पैकेट को अच्छे से देख लें। इनमें कई ऐसी गलतियां हैं जो आपको असली और नकली की पहचान में मदद करेंगे। जैसे पहली गलती यह है कि नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर ऊपर की ओर ‘Rx’ नहीं लिखा होता है। जबकि असली डिब्बे पर आपको इंजेक्शन के नाम के आगे ये लिखा हुआ दिखाई देगा।
कैपिटल लेटर से पहचान
नकली रेमडेसिविर के डिब्बे पर आपको दवा के नाम में फोंट की बनावट में अंतर दिखाई देगा। नकली पैकेट की तीसरी लाइन पर ‘100 mg/vial’ लिखा हुआ होता है, जबकि असली डिब्बे पर ‘100 mg/Vial’ लिखा होगा। इसमें स्पेलिंग तो एक ही है, बस कैपिटल लेटर का अंतर है। नकली दवा में स्मॉल लेटर का इस्तेमाल है जबकि असली दवा में Vial का पहला शब्द कैपिटल में लिखा है।
अलाइनमेंट में गड़बड़ी
दवा के डिब्बे पर जिस जगह कोवीफोर (COVIFOR) लिखा गया है उसके अलाइनमेंट में भी गड़बड़ी देखने को मिलती है। असली डिब्बे पर बिना गैप दिए हुए इसे लिखा गया है, जबकि नकली पैकेट पर ऊपर लिखे टैक्स्ट के बीच थोड़ा सा गैप छोड़ा गया होगा। अंतर मामूली है, लेकिन पहचान आसानी से की जा सकती है।
निर्देशों में भी फर्क
कोवीफोर के ठीक नीचे लिखी निर्देशों में भी आपको फर्क दिखाई देगा। ओरिजनल पैकेट पर इसके नीचे सिर्फ दो लाइने लिखी गई हैं, जबकि फेक पैकेट पर लिखे टेक्स्ट में फॉन्ट साइज काफी छोटा है। साथ ही स्मॉल और कैपिटल लेटर्स का एरर भी दिखाई दे रहा है।
Warning लेबल गायब
रेमडेसिविर दवा के डिब्बे के पीछे की ओर भी कुछ गलतियां हैं, जिनके जरिए असली-नकली की पहचान की जा सकती है। जैसे पैकेट के पीछे की ओर असली वाली दवा में ‘Warning’ (वार्निंग) लेबल को दिखाया गया है। वहीं नकली दवा में ये लेबल गायब है। नकली दवा के किसी-किसी डिब्बे पर ये लेबल दिखता है, लेकिन इसका रंग काला होता है जिससे इसके नकली होने की पहचान की जा सकती है।
आपको बता दें कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी को लेकर दिल्ली से लेकर पंजाब, हैदराबाद, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना समेत कई राज्यों से खबरें सामने आ रही है। पुलिस कई लोगों को गिरफ्तार भी कर चुकी है और आगे भी ये कार्रवाई जारी रहेगी। लेकिन पुलिस और प्रशासन से भी ज्यादा जरूरी है कि आप भी इस इंजेक्शन को खरीदते वक्त पूरी तरह सावधान रहें।