कांग्रेस ने मंगलवार को अमेरिका में प्रस्तावित ‘हायर विधेयक’ (HIRE Bill) को लेकर गंभीर चिंता जताई है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अगर यह विधेयक वास्तविकता बन गया तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में आग लगा देगा। उन्होंने इसे अमेरिका में बढ़ती उस मानसिकता का प्रतीक बताया, जिसमें यह माना जा रहा है कि जैसे ब्लू कॉलर नौकरियां चीन को चली गईं, वैसे ही अब व्हाइट कॉलर नौकरियां भारत को नहीं जानी चाहिए।
जयराम रमेश ने बताया कि ‘हॉल्टिंग इंटरनेशनल रिलोकेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एक्ट’ या ‘हायर बिल’ 6 अक्तूबर को ओहायो के सीनेटर बर्नी मोरेनो द्वारा अमेरिकी सीनेट में पेश किया गया था। इस विधेयक को सीनेट की वित्त समिति को भेजा गया है। इसके तहत किसी भी अमेरिकी कंपनी या करदाता द्वारा विदेशों में किए गए ऐसे भुगतानों पर 25 प्रतिशत कर लगाने का प्रावधान है, जिनसे अमेरिकी उपभोक्ताओं को लाभ होता है। यह प्रावधान सीधे तौर पर उन अमेरिकी कंपनियों को प्रभावित करेगा जो अपनी सेवाएं भारत जैसे देशों से आउटसोर्स करती हैं।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस विधेयक का सबसे बड़ा असर भारत के आईटी, बीपीओ, कंसल्टिंग और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में भारत ने सेवा क्षेत्र में जबरदस्त सफलता हासिल की है और अब यह प्रस्ताव उस प्रगति को चुनौती दे सकता है। आयरलैंड, इस्राइल और फिलीपींस जैसे देशों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भारत को हो सकता है क्योंकि भारत का सेवा निर्यात क्षेत्र अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है।
जयराम रमेश ने कहा कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि यह विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में पारित होगा या इसमें संशोधन किया जाएगा, लेकिन इतना स्पष्ट है कि अमेरिका में संरक्षणवाद की मानसिकता तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह रुझान अमेरिका की आर्थिक नीतियों में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जो भारत-अमेरिका संबंधों के लिए चिंता का विषय है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर कभी ‘हायर बिल’ वास्तविकता बन गया तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरी हलचल पैदा करेगा। भारत को तब अमेरिका के साथ अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के नए समीकरण तलाशने पड़ेंगे।