देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने दुनियाभर के शेयर बाजारों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, उन देशों में फिर से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जिन्होंने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया था. इस वजह से सोमवार को यूरोपीय शेयर बाजारों में कारोबार शुरू होने पर भारी गिरावट देखने को मिली. इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा.
बीएसई सेंसेक्स 811 अंक गिरकर 38,034 अंक पर बंद हुआ. एनएसई का निफ्टी 50 भी 282 अंक लुढ़ककर 11,222 पर आ गया. इस गिरावट में निवेशकों के 4.58 लाख करोड़ रुपये डूब गए.
बीएसई का बाजार पूंजीकरण गिरकर 154.42 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. सुबह में 105 फीसदी के प्रीमियम पर लिस्ट होने वाला रूट मोबाइल का शेयर इश्यू प्राइस से 86 फीसदी ऊपर बंद हुआ. शेयर बाजार के सभी सूचकांक लाल निशान में बंद हुए. रियल्टी इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट आई. इन वजहों से बाजार में आई गिरावट.
यूरोप काफी हद तक कोरोना के मामलों को काबू में करने में सफल हो गया था. वहां फिर से मामले बढ़ने लगे हैं. इससे दुनियाभर के निवेशकों में डर है. डेनमार्क, ग्रीस और स्पेन ने कोरोना को काबू में करने के लिए नए कदमों के एलान किए हैं.
ब्रिटेन दोबारा लॉकडाउन पर विचार कर रहा है. वहां रोजाना संक्रमण के 6000 नए मामले आ रहे हैं. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि फ्रांस, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स में संक्रमण के बढ़ते मामले चिंताजनक है. इधर, भारत में रोजाना करीब एक लाख लोग संक्रमित हो रहे हैं.
सोमवार को यूरोपीय शेयर बाजारों में जुलाई के बाद सबसे बड़ी बिकवाली हुई. निवेशख संक्रमण रोकने के उपायों से चिंतित हैं. इसके अलावा वैश्विक बैंकों में संदिग्ध ट्रांजेक्शन की खबर ने भी बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाला.
अमेरिकी शेयर बाजार के एसएंडपी 500 सूचकांक में 1.8 फीसदी गिरावट आई. अमेरिका सुप्रीम कोर्ट के अगले जस्टिस को को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच खींचतान जारी है. इसका असर शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार पर देखने को मिला.
इंग्लैंड के शेयर बाजार का एफटीएसई 3.16 फीसदी गिर गया. फ्रांस का सीएस 2.76 फीसदी लुढ़क गया. जर्मनी का डीएएक्स भी 2.85 फीसदी गिर गया. अमेरिकी शेयर बाजार का फ्यूचर्स भी करीब 2 फीसदी की गिरावट दिखा रहा था.
चीन से तनाव लगातार बढ़ रहा है. राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर हुई अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है. चीन ने एलएसी के पास भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती के साथ लड़ाई से जुड़े साजोंसमान पहुंचाए हैं.
इसके चलते भारत भी अग्रिम चौकियों पर मोर्चाबंदी के लिए मजबूर हुआ है. पिछले हफ्ते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार का रुख इस मसले पर रखा था. इससे पता चलता है कि लाख कोशिशों के बावजूद तनाव कम होने के संकेत नहीं हैं. यह शेयर बाजार के लिए बुरी खबर है.