नई दिल्ली : अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के वापस लौटने के बाद तालिबान ने इस देश के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इसे लेकर दोनों देशों के बीच लगातार जंग हो रहे है। इससे अफगानीस्तान में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। तालिबान का दावा है कि उसने अफगानिस्तान के 80 फीसदी हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। तालिबान अफगानिस्तान में साझेदार के तौर पर अपनी मौजूदगी स्थापित करने के लिए अन्य देशों से संपर्क भी कर रहा है। तालिबान यह बताने कि कोशिश में है कि वह 20 साल पहले जैसा था वैसा नहीं रहा और बदल चुका है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान भी तालिबान को अफगान सरकार में साझेदार बनाए जाने की हिमायत करता रहा है।
इस बीच, देश में शांति स्थापित करने के लिए अफगानिस्तान के नेता तालिबान से दोहा में वार्ता करने वाले हैं। टोलो न्यूज के मुताबिक, इन वार्ताकारों में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई भी शामिल हैं। लेकिन अफगानिस्तान ने कहा है कि अगर तालिबान के साथ वार्ता विफल रहती है तो वो भारत की सैन्य सहायता मांग सकती है। भारत में तैनात अफगानिस्तान के राजदूत ने भारत की मदद लेने की बात कही है।
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने एनडीटीवी से बातचीत में स्पष्ट किया कि इस मदद के तहत सैनिकों को भेजना शामिल नहीं होगा बल्कि अफगानी सैन्य बलों को ट्रेनिंग और तकनीकी मदद मुहैया कराना होगा। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के प्रतिनिधि देश पर विद्रोहियों के बढ़ते नियंत्रण के बीच बातचीत कर रहे हैं। अमेरिका ने ऐलान किया है अफगानिस्तान में अगस्त के अंत उसका सैन्य मिशन पूरा हो जाएगा।
हालांकि, न्यूज एजेंसी एएफपी का दावा है कि दोहा में हो रही शांति वार्ता काफी हद तक विफल हो गई है। तालिबान अब पूरी तरह से सैन्य जीत का ऐलान करने के लिए तैयार है।
अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने कहा कि अगर तालिबान के साथ शांति वार्ता सफल नहीं हो पाती है तो आने वाले वर्षों में हमें भारत की सैन्य मदद की जरूरत होगी। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हम भारत से यह मांग नहीं कर रहे हैं कि वो अफगानिस्तान में सेना भेजे।’
अफगानिस्तान के राजदूत ने कहा कि उनके देश को एयर फोर्स की जरूरत होगी। अफगानिस्तान चाहेगा कि उनके एयर फोर्स को पाइलट ट्रेनिंग मुहैया कराई जाए। इसके लिए स्वाभाविक तौर पर भारत मुफीद देश है।
फरीद ममुंडजे ने कहा कि भारत हमें दो अन्य मोर्चों पर मदद कर सकता है। पहला, सैन्य ट्रेनिंग और दूसरा, हमारे कैडेट्स के लिए स्कॉलरशिप। बातचीत के दौरान उन्होंने भारत द्वारा प्रदान की जाने वाली 1,000 वार्षिक छात्रवृत्ति का भी जिक्र किया। आपको बता दें कि अभी भारत में 20,000 अफगान छात्र पढ़ रहे हैं। भारत ने अफगानिस्तान की नई संसद के निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के अलावा बांधों के निर्माण में मदद की है।
राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति बहुत गंभीर है। सुरक्षा बल 150 जिलों में तालिबान से लड़ रहे हैं। यानी एक तिहाई देश में जंग जैसे हालात हैं. अप्रैल 2021 से अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं जबकि 4000 मारे गए हैं।
हाल ही में 22 कमांडरों की हत्या का जिक्र करते हुए ममुंडजे ने कहा कि यह घटना फरयाब प्रांत की पिछले महीने की है जहां इन जवानों की तालिबान ने उस समय बेरहमी से हत्या कर दी थी जब वे आत्मसमर्पण कर रहे थे।
उत्तरी अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है और विद्रोही कंधार के करीब तक पहुंच चुके हैं। लेकिन तालिबान ने कहा है कि वे शहरों के अंदर सरकारी बलों से लड़ाई नहीं करना चाहते हैं।