नई दिल्ली : 26 जनवरी को किसानों द्वारा किये गये ट्रैक्टर रैली के दौरान जमकर उत्पात मचाया गया था, जिससे देश का प्राचीन धरोहर और सम्मान लाल किले को भी काफी क्षति हुई। किसानों के इस रूप को देखकर देश अब दो भागों में बंट चुका है। एक तरफ जहां देश के स्थानीय लोग इस आंदोलन के विरोध में हैं तो वहीं दूसरी तरफ किसान लगातार तीनों कृषि कानून को लेकर आंदोलनरदत है।
इसी बीच कांग्रेस प्रवक्ता गुलाम नबी आजाद ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कल संसद में होने वाले राष्ट्रपति अभिभाषण का कांग्रेस समेत 16 दल बहिष्कार करेंगे। आजाद ने कहा कि 16 राजनीतिक दलों के तरफ से हम आज बयान जारी कर रहे हैं कि कल संसद में माननीय राष्ट्रपति का जो अभिभाषण है हम उसका बहिष्कार करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सरकार ने किसानों की मर्ज़ी के बिना ये 3 बिल जबरदस्ती पास किए थे।
वहीं दूसरी तरफ आप नेता संजय सिंह ने कहा कि हम लोग तीन कृषि कानूनों का विरोध करते रहे हैं और करते रहेंगे। इसलिए आम आदमी पार्टी महामहिम राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगी और हमारे लोकसभा के सांसद भगवंत मान और राज्य सभा के हम तीन सांसद कल राष्ट्रपति के अभिभाषण कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। अब सोचने वाली बात यह है कि 26 जनवरी को लाल किले के पास जो दृश्य उभरा था, उसका असल जिम्मेवार कौन हैं। क्योंकि बीच-बीच में कई पार्टियों की तरफ से भी ऐसे बयान दिये जा रहें थें, जो किसान आंदोलन में घी डालने का काम कर रहा था।