ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह होते है और हर ग्रह की अपनी एक ऊर्जा होती है और ऐसे में हर ग्रह की ऊर्जा और स्वभाव के बारे में जानना बेहद जरुरी होता है। आज इस लेख में हम बात करने वाले है शुक्र की जो की स्त्री कारक और शुभ ग्रह है।
शुक्र को फलित में शुभ कहा गया है। वृष राशि और तुला राशि पर इसका अधिकार है और मीन राशि में यह उच्च के होते है। जीवन में कला, रस, स्त्री सुख, मीडिया, भोग इन सबका कारक शुक्र है। शुक्र अगर बलवान नहीं होगा तो जातक सुंदर नहीं होता और ना ही उसका कोई प्रभाव पड़ता है लेकिन बलवान शुक्र होता है तो उसकी बातों को न सिर्फ सुना जाता है बल्कि स्त्री वर्ग का उससे विशेष प्रेम होता है।
वही आपके घर में भी शुक्र का स्थान है। जैसे कुंडली में हर ग्रह का एक भाव निश्चित है ठीक उसी प्रकार घर में भी हर ग्रह का एक स्थान है। शुक्र घर की स्त्री और बेटी को दर्शाता है। इसलिए इसका अधिकार आग्नेय कोण पर होता है। आग्नेश दिशा दक्षिण और पूर्व के मध्य होती है।
इस दिशा के स्वामी शुक्र और देवता अग्नि है। घर की स्त्री को अन्नपूर्णा कहा जाता है। मनुष्य अपनी मेहनत से जो अनाज और सब्जी खरीद कर लाता है वो उसे रसोई में पकाती है इसलिए ही आग्नेय कोण में रसोई का विधान है। अगर आप अपने घर के आग्नेय कोण में रसोई घर बनाये और वही बैठकर खाना खाये तो उससे घर की स्त्री का स्वास्थ्य ठीक रहता है।