देश में जबसे नागरिकता कानून सरकार ने पास किया है तब से इस देश के कई बुद्धिजीवी वर्ग के साथ साथ लगता है की पाकिस्तान को भी बड़ी दिक्क्त पेश आ रही है, पूरी दुनिया इस बात को जानती है की पाकिस्तान का जन्म धर्म के आधार हुआ था और जो भी अल्पसंख्यक आबादी वहां रुकी उसके हालात पूरी दुनिया के सामने है।
दरअसल पाकिस्तान की अगर बात करे तो वहां गैर मुस्लिमो के साथ हत्या, अपहरण और धर्म परिवर्तन एक आम बात है। हिन्दू आबादी आज़ादी के समय जो 20 फीसदी हुआ करती थी वो अब 3 फीसदी भी नहीं बची है, ये लोग या तो मार दिये गये या इनका धर्म बदल दिया गया।
अब एक ऐसा मुल्क जिसका जन्म ही नफरत और धर्म के आधार पर हुआ है उससे हम अगर ये उम्मीद करे की वो अपने देश के अल्पसंखयक समुदाय का ध्यान रखेगा तो ये बेमानी है उसके उलट इस देश में बात करे तो मुस्लिम आबादी 15 फीसदी से अधिक हो गयी है और खूब फल फूल रही है लेकिन इसके बाद भी कुछ लोगो को यह रास नहीं आ रहा की पाकिस्तान से सताये लोग इस देश में आकर रहे।
शनिवार को पाकिस्तान ने हदें पार करते हुए अपनी सीमायें लाँघ दी है, सिखों के पवित्र स्थल ननकाना साहिब में पत्थरबाजी की गई. सिखों को धमकाया गया. ननकाना साहिब का नाम बदलकर गुलाम-ए-मुस्तफा करने की चेतावनी दी गई.
अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है की आखिर पाकिस्तान अपने ही देश के अल्पसंख्यक समुदाय को क्यों प्रताड़ित कर रहा है ? कहीं ऐसा तो नहीं की वो नागरिकता कानून पास किये जाने से बौखलाया हुआ है और उन्हें सता रहा है ? सवाल यह भी है की नागरिकता कानून पर मोदी जी को कोसने वाला विपक्ष सिखों की पर क्यों चुप है ? कहीं ऐसा तो नहीं है की पाकिस्तान का यह कोई अजेंडा है जिसके तहत वो धर्म स्थलों को निशाना बना रहा है ?
ननकाना साहिब पर पाकिस्तान का झूठ भी परेशान करने वाला है, कभी 2 मुस्लिम पक्षों के बीच झगड़ा वही कभी बोला गया की चाय की दुकान पर मामूली झगड़ा हुआ, उसके बाद बयान आता है की ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कोई हमला नहीं और आखिर में विवाद को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश ! ये सारे झूठ किसी बड़ी साजिश की और इशारा कर रहे है।
दरअसल अगस्त 2019 में ननकाना साहिब के ग्रंथी की बेटी का अपहरण हो गया था, ग्रंथी परिवार ने कहा, घर से घसीटकर बेटी को ले गए थे कट्टरपंथी और परिवार पर भी इस्लाम कबूलने का आरोप लगाया गया था। वही शनिवार को भीड़ ने कहा, सिख लड़की मुस्लिम बनी, अब नहीं लौटाएंगे. कट्टरपंथियों ने कहा, पाकिस्तान से सभी सिख भगाए जाएंगे.
इन सब बातों के सामने आने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है की क्या अब भी देश के विपक्ष को और नागरिकता कानून का विरोध करने वालो को कोई सबूत चाहिये की पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महफूज़ नहीं है ? मोदी का विरोध करना है कीजिये लेकिन पड़ोसी मुल्को में जो अत्याचार हिन्दू और सिख लोगो को बहन बेटियों पर हो रहे है उस पर आँख मत मुंदिये।