साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही देश के कुछ कैंपस में हिंसा का माहौल देखा जा रहा है, इसकी शुरुआत हुई थी 9 फरवरी 2016 से जब दिल्ली की JNU यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत कई छात्रों ने आतंकी अफ़ज़ल गुरु की बरसी पर उसका महिमामंडन करते हुए भारत की बर्बादी के नारे लगाये।
इसके बाद के घटनाक्रम पर अगर हम गौर करे तो एक सुनियोजित तरीके से समय समय पर देश के कुछ कैंपस सरकार के खिलाफ खड़े कर दिए जाते है और फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन के नाम पर भारत विरोधी नारो से भी ये परहेज नहीं करते तो आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?
देश में कई बड़ी और अच्छी यूनिवर्सिटी है लेकिन गौर किया जाए तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, JNU और जाधवपुर यूनिवर्सिटी जैसी गिनी चुनी यूनिवर्सिटी में ही ऐसी चीज़े होती है, कुछ सालों में देखे तो केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिये इन यूनिवर्सिटी के छात्रों को मोहरा बनाकर देश को अस्थिर करने की साजिश की जा रही है।
अब इसका सबसे ताजा उदाहरण JNU में सामने आया है जहां एक छोटे से विवाद के कारण हिंसा की गयी, गरीबी और वंचित वर्ग की बात करने वाले वामपंथी छात्रों ने ज़रा सी फीस वृद्धि के नाम पर यूनिवर्सिटी को अखाड़ा बना दिया और उसके बाद मैन्युअल रजिस्ट्रेशन करवा रहे छात्रों को इन्ही वामपंथी छात्रों ने बुरी तरह मारा पीटा और उसके बाद उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर आंदोलन करते हुए दिल्ली की सड़कों को जाम किया जा रहा है।
अब सिर्फ देश की आम जनता ही नहीं बल्कि देश की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीज के शिक्षाविदों ने खुद प्रधानमन्त्री मोदी जी को पत्र लिखकर वामपंथी राजनीति और हिंसा का विरोध किया है और उनसे गुहार की है वो इस अराजकता के माहौल से देश को यूनिवर्सिटीज को निजात दिलाये।
पत्र लिखने वालों में मध्य प्रदेश के सागर के डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरपी तिवारी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के कुलपति प्रो एचसीएस राठौर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के कुलपति रविंदर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ला प्रमुख रूप से शुमार हैं.
इस पत्र में लिखा गया है की मुट्ठी भर वामपंथी कार्यकर्ताओं ने हिंसा और अराजकता के माहौल में ढकेल दिया है. देश के 208 कुलपतियों और शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति के नाम पर लेफ्ट प्रायोजित हिंसा का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा है कि वामपंथी कार्यकर्ताओं की ओर से कैंपस को हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश हो रही है. शिक्षाविदों ने यह पत्र 11 जनवरी को लिखा है. पत्र में कुल 208 कुलपतियों, प्रोफेसरों और शिक्षाविदों के नाम हैं.
इस पत्र में उन्होंने हालिया घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि जेएनयू, जामिया से लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय में मुट्ठी भर वामपंथी कार्यकर्ताओं की ओर से कैंपस में अराजकता का माहौल पैदा करके शैक्षणिक गतिविधियां ठप की जा रही हैं। इस चिट्ठी में इस बात की भी चिंता जताई गयी है की इन छात्रों के आंदोलन के कारण उन गरीब तबके के लोगो को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है जो दूर दराज यहां पढ़ने आ रहे है।
आगे हम समझे तो यही वामपंथ की राजनीति की काली सच्चाई है जहां सिर्फ देश के माहौल को अराजकता में धकेलना और आंदोलन के नाम पर विकास कार्यो का जाम करना, वैसे एक हक़ीकत यह भी है की साल 2014 से ही जब से मोदी PM बने है तबसे वामपंथ सिकुड़ता ही जा रहा है और अब ये लोग सिर्फ केरल और JNU में ही बचे हुए है तो ऐसे में इनकी बौखलाहट भी अब सड़कों पर दिखाई दे रही है और बहुत जल्द इनका भी इलाज होगा।