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आखिर कौन है अर्बन नक्सल : समझिये इसके पीछे की रणनीति

By: RNI Hindi Desk 
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आखिर कौन है अर्बन नक्सल : समझिये इसके पीछे की रणनीति

18 अप्रैल 2017 को पुणे पुलिस को एक चिट्ठी बरामद होती है जिसमे प्रधानमन्त्री मोदी का राजीव गाँधी की तर्ज पर हत्या करने की साजिश करने का खुलासा होता है। राणा जैकब द्वारा कॉमरेड प्रकाश को यह चिट्ठी लिखी गयी जिसमे मोदी सरकार को हिन्दू फासिस्ट सरकार बताया जाता है और लिखा जाता है की उन्हें अब रोकना होगा।

इस मामले में सबसे अधिक चौकाने वाली बात यह थी की इस पत्र में हथियार खरीदने के लिये 8 करोड़ रूपये जुटाने की बात कही गयी है जिसका ज़िम्मा एक लेखक वरवर राव को दिया गया, उन्हें माओवादी विचारक माना जाता है तो अब आप सोच रहे होंगे की एक एक्टिविस्ट और एक लेखक कैसे PM की हत्या की साजिश कर सकते है ? ये आतंकी नहीं है लेकिन ये शहरी नक्सल यानी अर्बन नक्सल है जिनकी आज हमे पहचान करना बहुत जरूरी है।

अर्बन नक्सल प्रभाव में कब आया ?

दरअसल ये कोई आतंकी नहीं होते है और ना ही नक्सल की तरह काम करते है बल्कि ये उन्हें मोरल सपोर्ट देते है, इनका काम नक्सल लोगो को धन मुहैया करवाना, आंदोलन में भीड़ खड़ी करना और सरकार के खिलाफ एक पूरा सिस्टम खड़ा करना होता है। ये कोई भी हो सकते है लेखक, वकील, आर्टिस्ट कोई भी, हो सकता है आप किसी के साथ मेट्रो में सफर कर रहे हो और वो आपको अपने तर्को से देश विरोधी बाते समझाने में लगा हुआ हो ! वो अर्बन नक्सल हो सकता है.

दरअसल माना जाता है की इस नक्सली हिंसा की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई, नक्सलबाड़ी में दबे कुचले किसानों ने पहली बार हथियारों के साथ के साथ शोषण करने वाले जमिदारों से भूमि और फसल के अपने अधिकार के लिए लड़ाई की.

माओ त्से तुंग के विचारों से प्रेरित छात्रों ने माओ के विचारों को अपनाया और इस पुरे मोमेंट को माओवादी मोमेंट का नाम दे दिया गया लेकिन धीरे धीरे जंगल से शुरू हुई लड़ाई सरकार के खिलाफ हो गयी और इसे सरकार विरोधी आंदोलनों में इस्तेमाल किया जाने लगा।

कैसे काम करते है अर्बन नक्सल ?

दरअसल अर्बन नक्सल कई चरणों में काम करते है, पहला चरण सरकार के विकास कार्यो को आंदोलनों के माध्यम से रोकना जिसमे भोले किसानो को बहकाना शामिल है। उनका दूसरा चरण है सरकार के किसी भी कानून के खिलाफ कोर्ट में PIL दाखिल कर देना, तीसरा चरण है स्कूल और कॉलेज के भोले भाले छात्रों को बौद्धिक तौर से सरकार के खिलाफ भड़काना और उनका इस्तेमाल करना, चौथा चरण है नक्सलियों के लिये धन मुहैया करवाने के लिए NGO के नाम पर पैसे लेना।

उदाहरण के लिये आप सोचिये की एक एक्टिविस्ट के पास कितनी संपत्ति होनी चाहिये ? लाखो या करोड़ो ? लेकिन जाँच में 100 करोड़ से ऊपर की संपत्ति मिलना क्या इशारा करता है ? ये कोई करप्शन नहीं है बल्कि ये अर्बन नक्सल का एक चेहरा है जिन्हे इंटरनेशनल फंडिंग मिलती है।

अर्बन नक्सल देश के ऐसे दुश्मन है जो आपको दिखाई नहीं देते है और अंदर ही अंदर देश को खोखला बनाते रहते है, इनकी जो आर्गेनाइजेशन है वो किसी पार्टी का समर्थन नहीं करती लेकिन देश विरोधी लोगो को लीगल सपोर्ट देते है, इसको आप ऐसे समझिये की JNU में 5 जनवरी की शाम को हिंसा की खबर आती है और रात होते होते हज़ारो लोग इकट्ठे होकर सरकार के ऊपर आरोप मढ़ देते है, अब आप ही सोचिये की कुछ घंटो में ही कैसे ये लोग सड़को पर उतरकर अराजकता का माहौल बना देते है, दरअसल यही इनका असली चेहरा है।

अब आते है इनके अगले अजेंडे पर, दरअसल देश की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीज में ये लोग एक साजिश के तहत भर्ती किये जाते है और अपने हिसाब से ये किताबो में परिवर्तन करते है ताकि देश के इतिहास को दूषित किया जा सके, हमारी शिक्षा व्यवस्था में हमारे ऋषि मुनियों के विज्ञानं को दरकिनार कर इन्होने अपने लाभ के लिये देश को लूटने वाले मुगलो को महान बताया हुआ है।

दरअसल ये भी आतंक का ही एक रूप है जिसमे ये लोग अपने ही देश के बच्चो के दिलो में सनातन भारत के लिये नफरत गढ़ देते है ताकि वो बड़े होकर इन लोगो का देश विरोधी गतिविधियों में साथ दे सके और ये 1970 के बाद से इनका टॉप अजेंडा रहा है।

इसके बाद इनके अगले शिकार है हिन्दू सभ्यता ! विश्व की सबसे बड़ी और पुरानी सभ्यता को लोगो के ज़हन से मिटाना इनका सबसे बड़ा एजेंडा रहा है, हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करना, लेखो के माध्यम से हिंदुओ को कमजोर दिखाना और उन्हें अपनी ही सभ्यता से दूर कर देना, उदाहरण के लिए एक हिन्दू धर्म की बच्ची अगर मंदिर जाती है तो उसे अनपढ़, गवार अंधविश्वासी बोला जाता है जिससे उसके अंदर हीन भावना पैदा हो जाए लेकिन किसी और धर्म की लड़की अगर परंपरा को निभाये तो उसे उदाहरण की तरह पेश किया जाता है।

घुघंट प्रथा के खिलाफ बोलकर बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म को महिला विरोधी करार दे दिया जाता है लेकिन तीन तलाक़, हलाला और बुरका जैसी कुप्रथा के खिलाफ ये लोग नहीं बोलते और धीरे धीरे हिन्दू लड़के लड़कियां अपने ही धर्म को गलत मानकर इनके एजेंडे में ना चाहते हुए भी शामिल हो जाते है। इनका पूरा ध्यान सिर्फ इस चीज़ पर रहता है की देश में हमेशा अंदरूनी हिंसा बनी रहे और देश के ही लोगो को उन्ही की सरकार के खिलाफ भड़का सके।

असम, कश्मीर और नागालैंड जैसे कई उदाहरण हमारे सामने है जहां कैसे अपने ही देश के लोगो के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने की नौबत आयी, क्यूंकि ये लोग अपने ही देश के लोगो को देश की सेना के खिलाफ भड़काकर पत्थरबाजी करवाते है और उनके ऊपर जब केस दर्ज किया जाता है तो मासूम और भोले लोग बताकर उनके लिए फ्री में केस लड़े जाते है।

जब ये कई बार अपने मकसद में नाकाम हो रहे होते है तो फेक नेरेटिव क्रिएट करते है, मोदी जी ने PM बनते ही कई फ़र्ज़ी NGO पर कार्यवाही की जो की नक्सल्स को धन मुहैया करवा रहे थे, जैसे ही ये सब हुआ इन अर्बन नक्सल लोगो ने अवार्ड वापसी करना शुरू कर दी जिसमे लेखक से लेकर कलाकार तक सब शामिल थे, देश के भोले मासूम मुस्लिम लोगो को भड़काया गया की देश में असहिष्णुता बढ़ गयी है और देश में जगह जगह आंदोलन होने लगे, ये लोग तब आंदोलन नहीं करते जब कश्मीरी पंडितो को अपने घर से भगा दिया जाता है क्यूंकि वो इनके एजेंडे को सूट नहीं करता।

लेखक, वकील और स्टूडेंट ही नहीं बल्कि इन्हे मीडिया से, अकेडमी से, फिल्म इंडस्ट्री से भी मदद मिलती है, ऐसा कोई भी मुद्दा जिससे देश को नुकसान होता है उसके लिए ये तुरंत एक हो जाते है और उसका ताजा उदाहरण है CAA कानून के बाद देश भर में हुई हिंसा जिसमे देश के कई राज्यों में सुनियोजित हिंसा हुई और देश की करोड़ो की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया।

अंत में आप समझिये की ये हर जगह है, स्कूल हो या कॉलेज, दफ्तर हो या चाय की दुकान, मेट्रो हो या फाइव स्टार होटल ये हर जगह है और अपने तर्को से कोशिश करते रहते है आप किसी तरह से देश के खिलाफ इनका साथ दे लेकिन आप इन्हे जानिये और कोशिश करिये इनसे बचने की।

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