इस वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानि 9 मार्च शाम को होलिका दहन होगा वही उसके अगले दिन 10 मार्च को धुलंडी मनाई जायेगी जिसमे पुरे दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर रंगो से सरोबार कर देते है लेकिन क्या आपको होलिका दहन का सही तरीका पता है ? तो आज हम आपको होलिका दहन का मुहूर्त और इसका सही तरीका बताने वाले है –
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होलिका दहन की बात करे तो इस बार होली भद्रा से मुक्त रहने वाली है जिसके कारण संध्या काल में- 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक होली का दहन (होलिका दहन) किया जा सकता है।
होलिका दहन करने के लिए आप किसी पेड़ को ना काटकर उसकी पहले से गिरी हुई सुखी लकड़ियों का इस्तेमाल करे और बीच में झाड़ियों को भी रखे, शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करे और होली में नारियल, नई फसल का कुछ भाग और सप्तधान्य हैं गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की आहुति दे।
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वही होलिका दहन से पहले होली की पूजा करने का ग्रंथो में विधान है, होलिका दहन से पहले होली की पूजा होती है और पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके ही पूजा करनी चाहिए। पूजा में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, और गुलाल नारियल का इस्तेमाल करना चाहिए।
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कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना होता है। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है। रोली, अक्षत व पुष्प को भी पूजन में प्रयोग किया जाता है।