होली इस देश में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है और यह पर्व हर फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस दिन को होलिका दहन किया जाता है और देश से सभी प्रमुख हिस्सों में इस परम्परा का पालन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है।
इस माह अगर हम होलिका दहन की बात करे तो इस माह 9 मार्च को पुरे दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी जिसके कारण इसी दिन होलिका दहन होगा। वही अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाएगा, ज्योतिष के नज़रिये से सोमवार को होली होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है क्यूंकि सोमवार को पड़ने वाली पूर्णिमा को धर्म ग्रंथो में अत्यंत शुभ माना गया है।
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लेकिन क्या आप जानते है कि होली के पहले के 8 दिनों को होलाष्ठक के नाम से जाना जाता है, अष्टक यानी 8, और इस वर्ष यह 3 मार्च से 9 मार्च की रात तक रहने वाला है। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक की अवधि को कहा जाता है।
इन 8 दिनों में विवाह, नामकरण, विद्या प्रारंभ, गृह प्रवेश, भवन निर्माण, हवन, यज्ञ आदि नहीं किया जाता है इसलिए जो भी विवाह मुहूर्त होते है वो इस दिन से पहले ही निकाले जाते है, ऐसी मान्यता है कि इन 8 दिनों में शुभ कार्य करने से व्यक्ति को अग्नि भय रहता है।
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लेकिन अब आप यह सोच रहे होंगे की इन 8 दिनों में ऐसा क्या बुरा है जो कोई मांगलिक कार्य नहीं कर सकते तो उसके पीछे भी एक कथा है, दरअसल हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से कोपित होकर उसे बंधन में बाँध दिया था और वो दिन फाल्गुन मास के अष्टमी का दिन था और जिस दिन होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर मारने की योजना बनायीं थी वो पूर्णिमा का दिन था।
भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया था उसी कारण से पूर्णिमा की शाम को होलिका दहन होता है। और यही कारण है अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होता क्यूंकि भक्त प्रह्लाद को प्रताड़ना दी गयी थी।