हमारे शास्त्रों में शिव को अनादि कहा गया है, शिव समष्टि के अहंकार है और प्रलय के देव है। किसी भी वस्तु का संहार शिव के ही आधीन है, मनुष्यों का प्राण हरने वाले स्वयं भगवान यमराज भी शिव के ही आधीन है, प्रलय काल में भी शिव के तांडव से ही सृष्टि का संहार होता है।
शिव के कई मन्त्र है लेकिन एक ऐसा मन्त्र है जिसकी महिमा यजुर्वेद से लेकर शिव पुराण तक में मिलती है और वो है महामृत्युञ्जय मन्त्र, इस मन्त्र को मृत्यु को जीतने वाला मन्त्र भी कहा जाता है और इस मन्त्र को हिन्दू धर्म ने गायत्री मन्त्र के समकक्ष ही रखा गया है।
मानव शरीर पंचभूत तत्वों से बना है। भूमि, गगन, वायु, अग्नि और जल। ये पांच तत्व ही रुद्र हैं। यानी जन्म से मोक्ष तक जो साथ-साथ हो, वही रुद्र है। वही शिव है, ये शिव की ही देन है और शिव में ही मिल जाता है।
इस मन्त्र की एक और खासियत यह है कि इसका उल्लेख यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में आता है, यह शिव के रूद्र यानी उग्रा रूप की और संकेत करता हुआ मन्त्र है, वही यह कहीं कहीं संजीवनी मन्त्र के रूप में भी जाना जाता है क्यूंकि इस मंत्र का संबंध दैत्य गुरु शुक्राचार्य को दी गयी मृत संजीवनी विद्या से है।
अगर इस मन्त्र को समझे तो इसमें 32 अक्षर है, ॐ लगा देने से यह 33 हो जाएगा जिसकी व्याख्या महर्षि वशिष्ट ने दी, हिन्दू धर्म में 33 देवता है जिसमे आठ वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य और एक वषट हैं और सबको पोषित करने वाला मन्त्र है।
त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥’
यह मूल मन्त्र है, इसका अर्थ है कि हम उन भगवान शिव की पूजा करते हैं जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से करते हैं, उन महादेव शिव से हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
लेकिन इस मंत्र का जो आखिरी अक्षर को ध्यान से पढ़ना होगा क्यूंकि यह उसी स्थिति में पढ़ा जाएगा जब मोक्ष नहीं मिल रहा हो और आप स्वयं मृत्यु की कामना कर रहे हो।
अगर इस मंत्र को समझे तो इस मन्त्र के कई प्रकार है, तांत्रिक बीज मन्त्र में गायत्री का प्रयोग किया जाता है जो साधकों के लिए उचित रहता है, यह मन्त्र निन्मलिखित है –
ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ॥
इसके अलावा नौकरी करने वाले और व्यापारी के लिए संजीवनी मन्त्र है –
ॐ ह्रौं जूं स:। ॐ भूर्भव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ। स: जूं ह्रौं ॐ।
अगर आप बीमार है और कोई असाध्य रोग हो गया है तो कालजयी मन्त्र है –
ॐ ह्रौं जूं स:। ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ। स: जूं ह्रौं ॐ॥
आप अपनी अपनी सुविधा से पाठ कर सकते है।
इस मन्त्र का प्रभाव ऐसा है कि स्वयं डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों को भी इस पर शोध करना पड़ा क्यूंकि बीज मंत्रों के जाप से शरीर में कम्पन होता है और यह मस्तिष्क में स्थित न्यूरॉन्स को चमत्कारिक तरीके से प्रभावित करता है।
ऐसा ही एक परीक्षण दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉक्टरों ने किया जिसमे उन्होनें 40 मरीजों को 2 हिस्सों में बांट दिया, ये वो लोग थे जो किसी बीमारी या एक्सीडेंट के कारण कोमा में चले गए थे। वृन्दावन के ब्राह्मणों के द्वारा एक समूह के लिये मन्त्रों का जाप किया गया और दो तीन दिन के बाद ही यह देखा गया की उन रोगियों की हालत में चमत्कारिक तरीक़े से सुधार हुआ।
अब सोचने वाली बात यह है कि जो व्यक्ति मन्त्र का स्वयं जाप करता है, उसके मस्तिष्क पर कितना अधिक प्रभाव पड़ता होगा, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।