नई दिल्ली : कुछ समय पहले केंद्र सरकार द्वारा OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल पर लागू किये गये कानून के बाद, आज लोकसभा में सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से फेसबुक और गूगल जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा न्यूजपेपर पब्लिशर्स के साथ अपना ऐडवर्टाइजिंग रेवेन्यू संबंधित सवाल किये गये, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
इसके साथ ही एक अन्य सवाल के जवाब में जावड़ेकर ने यह भी कहा कि सरकार ने ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी’ (INS) द्वारा गूगल, फेसबुक आदि जैसी कंपनियों की विज्ञापन से होने वाली कमाई को साझा करने की उनकी मांग का समर्थन नहीं किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को वैश्विक नियम-कायदों के अनुसार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित भारतीय खबरों के लिए गूगल जैसी कंपनियों से राजस्व प्राप्त होता है? जावड़ेकर ने कहा कि सरकार पब्लिशिंग इंडस्ट्री से लागू दरों के हिसाब से जीएसटी हासिल करती है, और इस संबंध में कानून बनाने को लेकर सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।
गौरतलब है कि लंबी लड़ाई के बाद ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और मीडिया कंपनी ‘न्यूज कॉर्प’ के बीच सहमति बन गई है और इसके तहत फेसबुक ने अब खबरों के भुगतान की बात कही है। आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही ऑस्ट्रेलिया की संसद ने एक कानून पारित किया था, जिसके अनुसार डिजिटल कंपनियों को खबरें दिखाने के लिए भुगतान करना जरूरी कर दिया गया है।
बता दें कि फरवरी में जावड़ेकर ने कहा था कि भारतीय सरकार इस बारे में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर आदि मार्केट्स के घटनाक्रम पर निगरानी रख रही है। वहीं इससे पहले आईएनएस प्रेजिडेंट एल. आदिमूलम ने इस बारे में गूगल इंडिया के कंट्री मैनेजर संजय गुप्ता को पत्र लिखकर गूगल को विज्ञापन से होने वाली कमाई में पब्लिशर्स की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत तक करने की मांग की थी। जिसे लेकर पब्लिशर्स की चिंता बढ़ गई थी, हालांकि सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की ओर से मिली जानकारी के बाद आज उन्होंने राहत की सांस ली है।