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Uttarakhand: राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में होगा संशोधन, सभी सदस्यों को मिलेगा मतदान का अधिकार

उत्तराखंड सरकार राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में बदलाव करने जा रही है। इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। संशोधन के बाद वे सदस्य भी मतदान कर सकेंगे, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में सहकारी समितियों के साथ किसी प्रकार का लेन-देन नहीं किया है।

By: Rekha 
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Uttarakhand: राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में होगा संशोधन, सभी सदस्यों को मिलेगा मतदान का अधिकार

उत्तराखंड सरकार राज्य सहकारी समिति निर्वाचन नियमावली में बदलाव करने जा रही है। इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। संशोधन के बाद वे सदस्य भी मतदान कर सकेंगे, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में सहकारी समितियों के साथ किसी प्रकार का लेन-देन नहीं किया है।

महिलाओं को होगा फायदा

सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे ने बताया कि वर्तमान नियमावली के अनुसार, केवल वे सदस्य मतदान कर सकते हैं जिन्होंने समिति के साथ खाद, बीज, ऋण, या किसी अन्य प्रकार का लेन-देन किया हो। इस नियम के कारण विशेष रूप से महिला सदस्य मतदान के अधिकार से वंचित हो रही थीं। जबकि सहकारी समितियों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान है।

नए संशोधन में नियम 12 (ख) के तहत छूट देने का प्रस्ताव है, ताकि सभी सदस्यों को मतदान का अधिकार मिल सके। सहकारिता सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि यह संशोधन कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लागू होगा।

सहकारी समितियों के चुनाव की तारीख

उत्तराखंड में सहकारी समितियों के चुनाव 16 और 17 दिसंबर को प्रस्तावित हैं। इस बदलाव के बाद चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और भागीदारी की उम्मीद है।

डीएपी की आपूर्ति पर विवाद

कृषि विभाग के निदेशक केसी पाठक ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार से 2,400 मीट्रिक टन डीएपी की मांग की गई है, जो जल्द ही उपलब्ध होगी। हालांकि, हरिद्वार सहित कुछ जिलों के किसान डीएपी खाद की उपलब्धता में कमी की शिकायत कर रहे हैं।

सहकारिता सचिव दिलीप जावलकर ने स्पष्ट किया कि सहकारिता विभाग केवल खाद की आपूर्ति करता है, जबकि इसकी आवश्यकता और मांग का आकलन कृषि विभाग करता है।

नियमावली में बदलाव के फायदे

सभी सदस्य मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। महिला सदस्यों को मतदान में भागीदारी का अधिकार मिलेगा। सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली में अधिक समावेशिता और पारदर्शिता आएगी।

यह बदलाव सहकारी समितियों को अधिक प्रभावी और लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकार का एक अहम कदम साबित हो सकता है।

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