उत्तराखंड में नए वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों का प्रस्ताव 4,300 करोड़ रुपये की पुरानी देनदारियों के कारण अटक गया है। यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने इन देनदारियों के समाधान के लिए विद्युत नियामक आयोग से 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है।
यूपी से जुड़े पुराने विवाद
उत्तराखंड के गठन के समय उत्तर प्रदेश से 1,058 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां और देनदारियां राज्य को मिली थीं।
इनमें से 508 करोड़ रुपये का निपटारा यूपी और फिर उत्तराखंड के टैरिफ में हो गया।
बाकी 550 करोड़ रुपये का निपटारा न होने की वजह से देनदारियों का बोझ बढ़ता रहा, जो अब 4,300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक
मंगलवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में 120वीं बोर्ड बैठक आयोजित की गई। बैठक में नई विद्युत दरों पर चर्चा हुई।
4,300 करोड़ रुपये की पुरानी देनदारियां फिर से चर्चा का केंद्र बनीं। यूपीसीएल ने इन देनदारियों को उपभोक्ताओं पर डालने की बजाय सरकार के साथ समायोजित करने का प्रस्ताव दिया।
वित्त विभाग ने दो बार खारिज किया प्रस्ताव
यूपीसीएल प्रबंधन ने यह प्रस्ताव दिया था कि इस रकम को राज्य सरकार के साथ समायोजित किया जाए, ताकि उपभोक्ताओं पर इसका असर न पड़े।
वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को दो बार खारिज कर दिया। बैठक में तय हुआ कि मुख्य सचिव, वित्त सचिव, और ऊर्जा सचिव की एक विशेष बैठक कर इस मुद्दे का हल निकालेंगे।
बिजली दरों का प्रस्ताव क्यों रुका है?
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने पुरानी देनदारियों को निपटाने के लिए शासनादेश जारी करने की शर्त रखी है। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी हुआ है। यह स्थिति नई बिजली दरों के प्रस्ताव में बाधा बन रही है। यूपीसीएल पर पहले से ही लगभग 5,000 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं, जिससे वित्तीय संकट और गहरा रहा है।
बैठक के नतीजों पर निर्भर करेगा कि पुरानी देनदारियों का समाधान कैसे होगा और उपभोक्ताओं को नई बिजली दरों में राहत मिलेगी या नहीं। राज्य सरकार और यूपीसीएल के बीच वित्तीय संतुलन बनाना इस मामले का अहम पहलू है।