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उत्तराखंड कैबिनेट ने यूसीसी नियमावली को दी मंजूरी, सीएम धामी ने कहा- ‘जल्द बताएंगे लागू होने की तारीख’

उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने सोमवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) मैनुअल को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे चुनावी वादा पूरा करने की ओर एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि 2022 में किए गए वादे को निभाया गया है।

By: Rekha 
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उत्तराखंड कैबिनेट ने यूसीसी नियमावली को दी मंजूरी, सीएम धामी ने कहा- ‘जल्द बताएंगे लागू होने की तारीख’

उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने सोमवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) मैनुअल को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे चुनावी वादा पूरा करने की ओर एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि 2022 में किए गए वादे को निभाया गया है।

धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने उत्तराखंड की जनता से वादा किया था कि हमारी सरकार बनते ही UCC बिल लेकर आएंगे। हमने यह वादा पूरा किया। ड्राफ्ट कमेटी ने इसका प्रारूप तैयार किया, जिसे विधानसभा में पास किया गया और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया।”

उत्तराखंड में 21 जनवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के वेबपोर्टल की मॉक ड्रिल पूरे प्रदेश में एक साथ आयोजित की जाएगी। यह अभ्यास यूसीसी को लागू करने से पहले एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे सरकार और संबंधित अधिकारियों को तैयारियों का मूल्यांकन करने का अवसर मिलेगा।

मॉक ड्रिल में रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारी यूसीसी पोर्टल पर लॉगइन करके विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशन, वसीयत जैसे विभिन्न सेवाओं के पंजीकरण का अभ्यास करेंगे। इस ड्रिल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यूसीसी लागू होने पर आम जनता को इन सेवाओं में कोई तकनीकी समस्या का सामना न करना पड़े।

यह मॉक ड्रिल सरकार, विशेष समिति और प्रशिक्षण टीम को अपनी तैयारियों को परखने और यूसीसी के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाने का अवसर प्रदान करेगी।

UCC के लागू होने की प्रक्रिया

उत्तराखंड में UCC बिल पहली बार 6 फरवरी 2024 को विशेष विधानसभा सत्र में पेश किया गया था। इसे 7 फरवरी को भारी बहुमत से पास कर दिया गया, और फिर 13 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून का दर्जा दिया। अब उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने की दिशा में है जहां UCC लागू होगा।

UCC का उद्देश्य और महत्व

यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून लागू करना है, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, या लिंग के हों। इसमें विवाह, तलाक, गोद लेना, उत्तराधिकार और संपत्ति के बंटवारे जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे। इससे समाज में समानता को बढ़ावा मिलेगा और विभिन्न समुदायों के बीच कानूनी समानता सुनिश्चित होगी।

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि प्रशिक्षण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और अब इसे लागू करने के लिए तारीखों का ऐलान जल्द ही किया जाएगा।

समान नागरिक संहिता पर संविधान क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (डीपीएसपी) के अंतर्गत आता है, में कहा गया है कि “राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा”। संविधान के भाग-IV के तहत अनुच्छेद 36 से 51 डीपीएसपी से संबंधित है जो संविधान की एक अनूठी विशेषता है जो देश को एक समतापूर्ण समाज की स्थापना के लिए मार्गदर्शन करती है।

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