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Uttarakhand: उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए भगीरथ प्रयास, ‘कल के लिए जल अभियान’ के तहत बनाए गए 4,107 जलकुंड

जलवायु परिवर्तन और नदियों के घटते आकार के बीच, उत्तराखंड में जल संरक्षण को लेकर "कल के लिए जल अभियान" का प्रभाव अब दिखने लगा है। हिमालयन पर्यावरण जड़ी-बूटी संस्थान (जाड़ी) द्वारा 2021 में शुरू किया गया यह अभियान गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है।

By: Rekha 
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Uttarakhand: उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए भगीरथ प्रयास, ‘कल के लिए जल अभियान’ के तहत बनाए गए 4,107 जलकुंड

जलवायु परिवर्तन और नदियों के घटते आकार के बीच, उत्तराखंड में जल संरक्षण को लेकर “कल के लिए जल अभियान” का प्रभाव अब दिखने लगा है। हिमालयन पर्यावरण जड़ी-बूटी संस्थान (जाड़ी) द्वारा 2021 में शुरू किया गया यह अभियान गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है। इसके तहत 4,107 जलकुंड और तालाब बनाए गए हैं, जो जल संकट के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं।

जल संरक्षण का भगीरथ प्रयास

जलवायु परिवर्तन के चलते नदियों, गाड-गदेरों का आकार लगातार छोटा हो रहा है। इस संकट से निपटने के लिए जाड़ी संस्था ने “कल के लिए जल अभियान” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों के संरक्षण के साथ ही भविष्य में पानी की कमी को रोकना है।

पूर्वजों की याद में जलकुंड निर्माण

अभियान के तहत, लोगों को प्रेरित किया गया कि वे अपने पूर्वजों की स्मृति में जलकुंड और तालाब बनाए। इसी तरह के प्रयासों ने महिला स्वयं सहायता समूहों को भी अभियान से जोड़ा, जिससे इस पहल को और गति मिली। महज तीन वर्षों में 4,107 जलकुंड और तालाब बन चुके हैं, जो न केवल जल संरक्षण में सहायक हैं बल्कि ग्रामीणों के सामूहिक प्रयासों का प्रतीक भी हैं।

चामकोट और अन्य गांवों में जलकुंडों का निर्माण

उत्तरकाशी जिले के चामकोट गांव ने इस अभियान से प्रेरित होकर 2022 में 3,500 जलकुंड बनाए थे, जिनकी सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी। इसके अलावा, गंगा सखी संगठन की 80 महिलाओं ने 400 जलकुंड बनाए। इसी प्रकार, नैनीताल जिले के भियाल गांव में जलनायकों ने मिलकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया और 150 जलकुंड तथा चार तालाब बनाए।

स्कूलों को भी जोड़ा गया अभियान में

जल संरक्षण की दिशा में अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए, स्कूलों को भी अभियान में जोड़ा जा रहा है। “एक विद्यालय, एक जल स्रोत” अभियान के तहत, छात्रों को उनके स्कूल के आसपास स्थित जल स्रोतों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस अभियान से अब तक पांच लाख जल नायक बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

जल नायकों का निर्माण और भविष्य के प्रयास

द्वारिका सेमवाल, जाड़ी संस्था के सचिव और उत्तराखंड राज्य के ब्रांड एंबेसडर ने बताया कि इस अभियान से सामाजिक क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ स्कूलों को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह अभियान केवल जल संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़कर जल के महत्व को समझाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए शुरू किया गया “कल के लिए जल अभियान” न केवल एक पर्यावरणीय पहल है, बल्कि यह एक सामूहिक सामाजिक आंदोलन भी बन गया है। जलकुंडों का निर्माण, महिला समूहों की भागीदारी और स्कूलों के जुड़ाव से यह अभियान जल संकट से निपटने के लिए एक प्रभावी उपाय बनता जा रहा है। इस तरह की पहल भविष्य में जल संरक्षण के मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है।

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