एसएन मेडिकल कॉलेज की पीजी छात्रा डॉक्टर योगिता गौतम की हत्या तीन गोलियां मारकर की गई थी। उरई, जालौन के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर विवेक तिवारी ने ही वारदात को अंजाम दिया था। उसने पुलिस को बताया कि गाड़ी में बैठते ही योगिता से झगड़ा हो गया था। उसने सिर, छाती और कंधे पर गोलियां मारीं। उसके बाद मौत सुनिश्चित करने के लिए चाकू भी मारा। खून से सना चाकू डॉक्टर की कार से मिला है। हत्यारोपी डॉक्टर ने रिवॉल्वर लखनऊ एक्सप्रेस वे पर फेंक दी थी, जो अभी नहीं मिली है। डॉक्टर विवेक तिवारी को जेल भेज दिया गया। उसे रिमांड पर लिया जाएगा।
डॉक्टर योगिता गौतम को रात करीब पौने आठ बजे प्रतापपुरा चौराहे के पास चलती कार में गोलियां मारी गई थीं। हत्यारोपी विवेक ने पूछताछ में यह कबूल किया है। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं। रात सवा आठ बजे तक उसने शव ठिकाने लगा दिया था। इसके बाद वह इनररिंग रोड होता हुआ रात में सीधे उरई, जालौन जाकर रुका था। वहां से बुधवार तड़के कानपुर गया। वहां कार छिपाई। लौटकर उरई आ गया।
डॉक्टर विवेक तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह डॉ योगिता से प्रेम करता था। सात साल से उनके बीच गहरी दोस्ती थी। दोनों पहले शादी भी करना चाहते थे। तब उसने खुद ही शादी से इनकार कर दिया था। डॉ. योगिता से कहा था कि पहले बहन की शादी करेगा। उसके बाद खुद शादी करेगा। डॉक्टर योगिता को लगता था कि वह उसे धोखा दे रहा है। इसलिए एक साल पहले योगिता ने उससे शादी से इनकार कर दिया। उस समय बहुत झगड़ा हुआ था। उस समय डॉ. विवेक ने उसे जैसे-तैसे मना लिया। इसके बाद भी दोनों के बीच इसी बात पर झगड़ा होता रहता था। कुछ दिन पहले योगिता ने उससे बात करना बंद कर दिया। कभी नहीं मिलने को कह दिया। फोन तक उठाना बंद कर दिया। घंटे-घंटे भर योगिता का मोबाइल बिजी आता था। उसे लगा कि उसकी जिंदगी में कोई और आ गया है। इसलिए उसने ठान लिया था कि अब योगिता नहीं छोड़ेगा। वह इसीलिए आगरा आया था।
बमरौली कटारा में डॉक्टर योगिता का शव मुख्य मार्ग से करीब एक किलोमीटर अंदर भूमिया कुंज कॉलोनी के पास खेत में फेंका गया था। डॉक्टर अपनी कार से वहां तक पहुंचा। सड़क पर एक जगह सीसीटीवी कैमरा लगा है। डॉक्टर की कार रात आठ बजकर पांच मिनट पर मुख्य मार्ग से अंदर गई थी। सवा आठ बजे लौटी। इससे पहले नूरी गेट में सीसीटीवी में शाम साढ़े सात बजे डॉक्टर योगिता घर से निकलती दिख रही हैं। घर के बाहर से ही वह डॉक्टर विवेक तिवारी की कार में बैठी थीं। विवेक ने बताया कि एमजी रोड पर दोनों के बीच चलती कार में झगड़ा हो रहा था। उस समय बारिश हो रही थी। प्रतापपुरा के पास उसने लगातार गोलियां योगिता के पिछले हिस्से में मारी थीं।
रिवॉल्वर और चाकू साथ लेकर आया था
डॉक्टर विवेक ने पुलिस को बताया कि वह उरई से ही पूरी तैयारी से आया था। मंगलवार को दिन में उसकी योगिता से कई बार बात हुई। उससे कहा कि आखिरी बार मिलना चाहता है। इसके बाद उनके बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा। योगिता तैयार हो गई। वह शाम साढ़े छह बजे आगरा आ गया था। सीधे नूरी गेट पहुंचा। योगिता पैदल घर से बाहर आई। उसकी कार में बैठ गईं। आगरा कॉलेज के पास दोनों के बीच कार में ही मारपीट हुई। उसने योगिता को थप्पड़ मार दिया। योगिता ने भी पलटकर उसे थप्पड़ मारा। कार रोकने को कहा। उसने कार दौड़ा दी। योगिता ने उसे नोंचा। बाल भी खींचे। वह गुस्से में आग बबूला हो गया था। रात करीब दस बजे योगिता की मां ने उसे फोन करना शुरू किया। इससे डॉ. विवेक घबरा गया। उसे लगा कि पकड़ा जाएगा। हत्या कर शव ठिकाने लगाने के बाद उसने यह कहकर नाटक किया कि उसकी योगिता से मुलाकात नहीं हुई थी। वह तो उरई में ही है। हत्या के बाद वह सीधे उरई गया। रात में ही कार को कानपुर रख आया। दूसरे दिन फिर उरई आ गया। पुलिस को पहले उसने बताया कि पिता की रिवॉल्वर किदवई नगर, कानपुर स्थित घर में ही छिपाई है, लेकिन बाद में बोला कि एक्सप्रेस वे पर फेंक दी है। अब तक रिवॉल्वर बरामद नहीं हुई है।
आगरा में इंस्पेक्टर रहे हैं विवेक के पिता
डॉक्टर विवेक तिवारी के पिता वीके तिवारी आगरा के सदर, ताजगंज और लोहामंडी थाने में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रहे हैं। वर्ष 2010 में उनकी तैनाती आगरा में हुई थी। वर्ष 2012 तक वो यहां रहे थे। वह यहीं से डिप्टी एसपी पर पदोन्नति पाकर बाहर गए थे। सेवानिवृत्ति के कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया। आगरा में तैनाती के दौरान वीके तिवारी ने अपनी अलग छाप छोड़ी थी। उनकी छवि मददगार पुलिस इंस्पेक्टर की थी। विवादित मामलों में भीड़ को समझाने के लिए उन्हें भेजा जाता था। वह अपनी मधुर वाणी से लोगों को समझाने में हमेशा सफल रहते थे।
दो भाई हैं विवेक, बड़ा है आईईएस
विवेक तिवारी का बड़ा भाई विकास तिवारी आईईएस (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज) अधिकारी है। मध्य प्रदेश में अधिशासी अभियंता है। मां का नाम आशा तिवारी है। बहन नेहा तिवारी अविवाहित है। घरवालों को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि यह दिन देखना पड़ेगा। पहले पुलिस घर आती थी तो वे चाय नाश्ते का इंतजाम किया करते थे। पिता के जीते जी कभी ऐसा नहीं हुआ कि पुलिस ने किसी को पकड़ने के लिए घर में दबिश दी हो। उनके देहांत के बाद बेटे विवेक ने ऐसा दिन दिखा दिया। अब घरवाले किसी से नजरें नहीं मिला पा रहे हैं।
बारिश नहीं होती तो शव को जला देता
विवेक तिवारी शातिर है। उसकी मंशा डॉक्टर योगिता का शव जलाने की भी थी। लेकिन बारिश के कारण यह संभव नहीं हो सका। उसने जहां शव फेंका वहां सूखी लड़की के बड़े टुकड़े पड़े थे। उसने कुछ टुकड़े उठाकर शव के ऊपर रख दिए थे। बारिश के कारण लकड़ी गीली हो गई थी। उसने माचिस से आग लगाने की भी कोशिश की, लेकिन लकड़ियां नहीं जलीं। कोई देख न ले इस कारण वह ज्यादा देर वहां नहीं रुका। भाग गया। भागते समय उसने लखनऊ एक्सप्रेस वे पर टोल प्लाजा से पहले रिवाल्वर सड़क किनारे फेंक दी। रात को उरई में रुका। सुबह कानपुर जाते समय खून से सने कपड़े ठिकाने लगा दिए।
विवेक को रिमांड पर लेगी पुलिस
एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि डॉक्टर विवेक तिवारी को पुलिस रिमांड पर लेगी। उससे हत्या में प्रयुक्त रिवाल्वार और खून से सने कपड़े बरामद करने हैं। पूछताछ में वह उस जगह को ठीक से नहीं बता पा रहा था जहां रिवाल्वर फेंकी थी। पुलिस ने लखनऊ एक्सप्रेस वे टोल प्लाजा के पास रिवाल्वर की तलाश की मगर नहीं मिली। रिमांड पर लेने के बाद पुलिस डॉक्टर विवेक को अपने साथ ले जाएगी। वहीं डॉक्टर योगिता का मोबाइल भी नहीं मिला है। विवेक का कहना है कि उसे नहीं पता। उसने मोबाइल नहीं लिया था। पुलिस मान रही है कि शव के पास जो भी पहले पहुंचा होगा संभवत: उसने मोबाइल उठा लिया। उसे बरामद करने के लिए सर्विलांस टीम को लगाया गया है।