मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के होनहार शोधार्थी जितेन्द्र प्रसाद ने गंगा की मिट्टी से बिजली उत्पादन की तकनीक विकसित कर संस्थान का नाम रोशन किया है। उन्हें इस अभिनव शोध के लिए प्रतिष्ठित गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड 2020 के लिए चुना गया है।
दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रकाश के लिए गंगा नदी की मिट्टी से बिजली उत्पादन करने के यह अवार्ड जितेन्द्र को राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त करने का गौरव मिलेगा। कोरोना महामारी की वजह से पुरस्कार समारोह की तारीख अभी तय नहीं हो सकी है। खास बात यह है कि इस तकनीकी से बिजली उत्पन्न करने में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता।
एमएनएनआईटी के निदेशक प्रो. राजीव त्रिपाठी ने बताया कि यह अभिनव शोध भविष्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रोफेसर रमेश कुमार त्रिपाठी के अधीन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में 2016 से पीएचडी कर रहे जितेन्द्र का जन्म गाजीपुर के शक्करपुर गांव में हुआ था।
इनके पिता रामकृत प्रजापति सेतु निगम में इलेक्ट्रिीशियन के पद से रिटायर हैं और मां गृहणी हैं। इनको शोध के दौरान भी इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय की ओर से छात्रवृत्ति मिल रही है। जितेंद्र बीटेक, एमटेक और पीएचडी करने वाले अपने गांव के इकलौते होनहार छात्र हैं। यह पुरस्कार इनके परिवार, कॉलेज और गांव के लिए अबतक की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
मिट्टी से चार्ज की बैट्री और फिर जलाया बल्ब
इस तकनीकी में जितेन्द्र ने पहले गंगा की मिट्टी से 12 वोल्ट की बैट्री को चार्ज किया और फिर इसे 230 वोल्ट की एसी वोल्टेज में बदलकर बिजली के बल्ब को 9 घंटे तक जलाया। जितेन्द्र ने प्रयोगशाला में 14-14 घंटे काम करके कड़ी मेहनत से 4 वर्षों में इस तकनीक को विकसित किया है। उनकी यह तकनीक दूर-दराज के इलाको में रोशनी फैलाने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस व सैन्य वायरलेस को शक्ति का स्रोत प्रदान करेगी। यह नवाचार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक शक्ति स्रोत के रूप में भी सुविधा प्रदान करेगा, जहां पारंपरिक बिजली का उपलब्ध हो पाना असंभव है।
2 पद्म विभूषण और 5 पद्मश्री प्राप्त वैज्ञानिकों ने चुना
यह पुरस्कार चिकित्साशास्त्र, ऊतक इंजीनियरिंग, मेडिकल, रसायन विज्ञान, जैव प्रसंस्करण, कृषि और इंजीनियरिंग समेत 42 श्रेणियों से जुड़े नवोन्मेषों के लिए युवा शोधकर्ताओं को दिया जाता है। चार चरणों के मूल्यांकन के बाद, इनोवेशन पुरस्कार के लिए 7 और सराहना (एप्रीसिएशन) पुरस्कार के लिए 15 टीमों का चयन किया गया है।
इस पुरस्कार की चयन समिति में में 5 पद्मश्री और 2 पद्म विभूषण प्राप्त वैज्ञानिक और अन्य आईआईटी के प्रोफेसर थे, जिन्होंने शोधार्थियों का साक्षात्कार लिया। पूरे भारत में गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड 2020 के लिए जितेन्द्र समेत सिर्फ सात शोधकर्ताओं को चुना गया है। देश के 31 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से सिर्फ एमएएनआईटी के जितेंद्र को यह उपलब्धि हासिल हुई है।
चीन, जापान की पत्रिकाओं के समीक्षक भी हैं जितेन्द्र
जितेन्द्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के समीक्षक भी हैं। वे जापान, चीन, कनाडा, सिंगापुर जैसे देशों के शोध कार्यों पर अपनी समीक्षा भी दे चुके है। इनके बहुत से शोध कार्य प्रमतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है। कई अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग ले चुके है। जितेन्द्र के शिक्षक प्रो. रमेश कुमार त्रिपाठी के अनुसार इस उपलब्धि से संस्थान के छात्र तथा छात्राओं में शोध के प्रति रुचि पैदा होगी।