अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन कराने वाले वृंदावन के मुख्य पंडित गंगाधर पाठक ने कहा है कि वह मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिणा के रूप में कठोर गोवंश संरक्षण कानून मांगना चाहते थे, ताकि भारतवर्ष की धरती गोवध के कलंक से मुक्त हो सके। उन्होंने वाराणसी में काशी विश्वनाथ एवं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने की भी मांग प्रधानमंत्री से की है।
गुरुवार को गोधुलिपुरम स्थित हरिदास धाम में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि भूमि पूजन समारोह में आयोजक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों द्वारा भले ही उन्हें पूजन की दक्षिणा दी उसे में अपना पारिश्रमिक समझता हूं, लेकिन पांडित्यकर्म में मुख्य यजमान द्वारा पंडित को दक्षिणा दिए जाने का विशेष महत्व होता है। बताया कि राष्ट्र के इस महान उत्सव में मुख्य यजमान की भूमिका में प्रधानमंत्री स्वयं थे। इसलिए वह प्रधानमंत्री से कुछ न मांगते हुए एक मुख्य यजमान से अपनी दक्षिणा मांग रहे हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि मुख्य यजमान उन्हें उनकी दक्षिणा अवश्य देंगे। भूमि पूजन समारोह की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह समारोह अपने आप में बहुत ही दिव्य एवं भव्य था।
उन्होंने बताया कि भूमि पूजन समारोह में विश्वभर से रत्न, हीरे जवाहरात, सोने-चांदी की ईंट आदि उपहार में मंदिर के लिए मिले हैं। इन्हें भगवान के गर्भ गृह में प्रयोग में लाया जाएगा। भूमिपूजन में प्रस्तर (पत्थर) की नौ शिलाओं का पूजन किया गया। गंगाधार पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं अपने साथ एक कलश लेकर आए थे वह भूमि पूजन में स्थापित कराया गया। बताया कि यह आयोजन नए भारत की नींव का भूमि पूजन है। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री ने इस कलश की स्थापना के साथ भारत को नवीन भारत बनाने और सशक्त हिन्दू राष्ट्र बनाने का संकल्प किया होगा। इससे पूर्व ब्राह्मण सेवा संघ के पदाधिकारियों द्वारा पंडित गंगाधर पाठक एवं उनके पुत्र श्रुतिधर पाठक का माल्यर्पण कर एवं उत्तरीय ओढ़ाकर नागरिक अभिनंनदन किया।