सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उ.प्र.सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या की सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में मस्जिद, अस्पताल आदि बनाने के लिए मिली 5 एकड़ जमीन पर रविवार को भी पैमाईश का काम जारी रहा। बोर्ड की ओर से इस निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट इण्डो इस्लामिक कल्चरल फाण्डेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने बताया कि दो-तीन दिन में पैमाईश का काम पूरा हो जाएगा।
उसके बाद नापजोख के इस सारे ब्यौरे पर वास्तुविदों से विचार किया जाएगा। इस विचार विमर्श के बाद किसी एक वास्तुविद को नक्शा व इस्टीमेट आदि बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। उसके बाद ही यह साफ हो सकेगा कि इस पूरे निर्माण पर कुल कितनी लागत आएगी। इसी के साथ रविवार को ट्रस्ट का ‘लोगो’ जारी किया गया। अष्टकोणीय सितारे के आकार का यह ‘लोगो’ धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद व अन्य निर्माण का भी निशान होगा।
अतहर हुसैन ने बताया कि दरअसल यह लोगा हिन्दुस्तानी-इस्लामी वास्तुशिल्प का प्रतीक चिन्ह है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में हुमायूं का मकबरा जिसे बादशाह अकबर ने बनवाया था उसमें इसी प्रतीक चिन्ह पर आधारित वास्तुकला मिलती है जिसमें मेहराबें, छतरिया, खम्भे हिन्दुस्तानी खासतौर पर राजस्थानी वास्तुकला की पहचान हैं।
इसके अलावा इस्लाम में पवित्र कुरआन को कंठस्थ करने के लिए जो तकनीक अपनायी जाती है उसमें इसी अष्टकोणीय सितारे के आधार पर 60 खाने बनाए जाते हैं जिनके आधार पर कुरआन की आयतें कंठस्थ की जाती हैं। साथ ही यह कैलीग्राफी कला का भी एक नायाब नमूना है। यह ‘लोगो’ ट्रस्ट के सदस्य मोहम्मद राशिद व ट्विन्स स्पार्क मीडिया के संयुक्त प्रयास का नतीजा है।