नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अभी कई महीने शेष है, उससे पहले ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। एक तरफ जहां बीजेपी ने कार्यकर्ताओं का उत्साह और मनोबल बढ़ाने के लिए बीजेपी नेतृत्व ने कई मोर्चों पर कार्य तेज कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार ने निगम, आयोग, बोर्ड व निकायों के रिक्त पदों पर राजनीतिक तैनाती का काम शुरू कर दिया।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कोरोना पीड़ित कार्यकर्ताओं के घरों तक पहुंचकर उनके दर्द को कम करने के लिए संवेदनाएं जताने में जुटे हैं। जबकि योगी सरकार यूपी में सात महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को खुश करने में जुट गई है। बुधवार को यूपी में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग में अध्यक्ष व उपाध्यक्षों के अलावा 12 सदस्यों को नामित करके कार्यकर्ताओं के असंतोष को खत्म करने का प्रयास किया गया है। एससी-एसटी आयोग में बीजेपी ने क्षेत्रीय और जातीय वर्ग का संतुलन बनाने की पूरी कवायद की है, जिसमें जाटव से लेकर पासी और कोरी समुदाय तक को जगह दी गई है।
योगी सरकार ऐसे ही सूबे में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, अल्पसंख्यक व महिला आयोग आदि के अलावा विभिन्न विभागों में निगमों, बोर्डों व समितियों में भी कार्यकर्ताओं को समायोजित करने की कोशिश में है। सरकारी पदों पर नियुक्तियों के लिए जिलों से नाम मंगाए गए है, जिसमें जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों के साथ नए-पुराने कार्यकर्ताओं का संतुलन बनाने की कोशिश है। इस तरह बीजेपी चुनाव से पहले अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के उत्साह और मनोबल को बढ़ाना चाहती है।
शिक्षकों को साधने में जुटी योगी सरकार
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी और जूनियर शिक्षक बड़ी तादाद में है, जो सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। पिछले दिनों कोरोना काल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान संक्रमित हो जाने के चलते बड़ी संख्या में शिक्षकों की मौत हो गई थी। ऐसे में शिक्षकों की नाराजगी को देखते हुए योगी सरकार डमैज कन्ट्रोल में जुट गई है। मरने वाले शिक्षक के परिवारों को 30-30 लाख की आर्थिक मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया।
वहीं, अब योगी सरकार ने प्रदेश के शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए बड़ा फैसला लेते हुए UPTET सर्टिफिकेट की वैधता को आजीवन करने का निर्णय लिया है। शिक्षक भर्ती के संबंध में योगी सरकार का यह फैसला डैमेज कन्ट्रोल के तौर पर देख जा रहा है। आदेश जारी होने के बाद, परीक्षा में एक बार क्वालिफाई हुए उम्मीदवारों को बार-बार परीक्षा देने की जरूरत नहीं होगी जबकि अभी तक UPTET प्रमाणपत्र केवल 5 वर्षों तक के लिए मान्य होता था। प्राइमरी व जूनियर स्कूलों यानी कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए शिक्षक भर्ती के लिए प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है।