लॉक डाउन और कोरोना संकट काल में सरकारों के लाख दावों के बावजूद मजदूरों कामगारों की दुश्वारियां कम होने का नाम नही ले रही और लगातार असुरक्षित तरीके से पलायन का सिलसिला जारी है।
यंहा गैर प्रान्तों में रह रहे प्रवासी मजदूर कामगार लगातार असुरक्षित वाहनों या पैदल पलायन करने की तस्वीरें सामने आ रही है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर ये तस्वीरें आम है। क्योंकि देश मे कोरोना काल और लॉक डाउन के चलते लगभग सभी व्यापार और काम बंद हो गया जिस कारण दूसरे राज्यों में काम करने गए मजदूरों कामगारों के सामने संकट आ गया है। अब वो अपने-अपने घरों की ओर जल्दी जाना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों कामगारों से पैदल या असुरक्षित वाहनों से न चलने की अपील भी कर चुके है .
और मजदूरों को सुरक्षित घर पहुचाने के लिए सरकार ने सैकड़ों बसें व केंद्र सरकार के सहयोग से ट्रेनें भी चलाई जा रही है। बाबजूद इसके मजदूरों की मजबूरी ने जल्दी अपने घर पहुँचने की होड़ लगी है।
गुड़गांव से पश्चिम बंगाल जा रहे ट्रकों में भर कर आये मजदूरों कामगारों का कहना है कि जिस फैक्ट्री में काम कर रहे थे वो बन्द हो गई घर मे खाने को नही था मकान मालिक ने घर से निकाल दिया .
ट्रक मालिक से बात कर अपने राज्य पश्चिम बंगाल जाना चाहते है। मजदूरों का आरोप है कि जो पैसा बचा था वो हरियाणा पुलिस ने हम लोगों से ले लिया।
टैम्पो में अपने परिवार साथ बस्ती जा रही शांति गोस्वामी का कहना है कि वो महाराष्ट्र में हाउस कीपिंग का काम करती थीं लॉक डाउन के बाद सब बन्द हो गया खाने पीने की समस्या खड़ी हो गई जिससे हम लोग अपने घर जा रहे है।
महाराष्ट्र सरकार बड़े बड़े लोगों के लिए व्यवस्था कर रही है गरीब और छोटे परिवारों के लिए कुछ नही कर रही…. राशन पानी खर्चा नही मिला रहा तमाम समस्याएं बनी हुई है।
महाराष्ट्र के पूना में कलर का काम करने वाले गोरखपुर जा रहे अनिल का कहना है कि महाराष्ट्र में ट्रक से आये उसने बार्डर पर छोड़ दिया यंहा से पैदल जा रहे अगर कोई साधन मिल गया तो ठीक नही तो पैदल ही जाना पड़ेगा।