आगामी Union Budget 2025 के बारे में चर्चा तेज हो गई है। आईसीआरए (Investment Information and Credit Rating Agency) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं को मामूली राहत दे सकती है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कर संग्रह पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। इस रिपोर्ट में राजकोषीय घाटे और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के बारे में भी महत्वपूर्ण आंकड़े पेश किए गए हैं।
आयकर पर छूट और राजकोषीय अनुमान
रिपोर्ट में आयकर छूट के बारे में बताया गया है कि सरकार व्यक्तिगत करदाताओं को मामूली राहत दे सकती है, लेकिन इसके बावजूद कर संग्रह पर इसका असर नगण्य रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इस वृद्धि का मुख्य कारण आय और कॉरपोरेट कर राजस्व में इजाफा होना है।
इसके अलावा, अप्रत्यक्ष करों में 9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया गया है, जिसमें जीएसटी संग्रह में 10.5 प्रतिशत और सीमा शुल्क प्रवाह में 5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की उम्मीद है।
राजकोषीय घाटा और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स)
राजकोषीय घाटे के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में 16 ट्रिलियन रुपये का इजाफा हो सकता है, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह 15.4 ट्रिलियन रुपये रहने का अनुमान है। हालांकि, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में देखा जाए तो राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत से घटकर 4.5 प्रतिशत हो सकता है।
पूंजीगत व्यय को लेकर रिपोर्ट ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 में सरकार 11 ट्रिलियन रुपये का पूंजीगत व्यय करने का अनुमान लगा रही है, जो पिछले वर्ष की बजट घोषणाओं के अनुरूप है। यह वित्त वर्ष 2025 में अपेक्षित 9.7 ट्रिलियन रुपये के व्यय से 12-13 प्रतिशत अधिक है।
सरकार का उद्देश्य पूंजीगत व्यय के माध्यम से विनिर्माण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर देना है, ताकि शहरी खपत और निवेश गतिविधि में आई मंदी का मुकाबला किया जा सके।
बजट 2025: विकास और राजकोषीय अनुशासन की दिशा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आगामी बजट में सरकार राजकोषीय अनुशासन का पालन करते हुए आर्थिक विकास को प्राथमिकता देगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।
आगामी Union Budget 2025 में सरकार आर्थिक विकास और पूंजीगत व्यय पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ राजकोषीय अनुशासन का पालन करने की योजना बना रही है। आयकर पर मामूली राहत के साथ-साथ, सरकार मंदी से निपटने के लिए विनिर्माण और रोजगार क्षेत्रों में बढ़ावा देने की योजना बना सकती है।