केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पिछले दिनों लाए गए 3 कृषि बिल जो कि अब कानून बन चूका है। कृषि कानून को लेकर देश भर में किसान विरोध किसान कर रहे हैं। इन किसानों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए।
पंजाब में तो किसानो का विरोध सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। ऐसे में राज्य की अमरिंदर सरकार भी किसानों का समर्थन कर रही है। इसी क्रम में पंजाब सरकार का विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू होगा।
नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब सरकार का विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू होगा। सत्र में कृषि कानूनों पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से विधेयक पेश किया जाएगा।
Had a detailed meeting with @INCPunjab MLAs to discuss the Centre’s Farm Laws and to hear their views for the Special Vidhan Sabha Session which starts tomorrow. pic.twitter.com/Ou58VikceI
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) October 18, 2020
सत्र के संबंध में आयोजित विधायक दल और मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से सूबे में कृषि कानूनों को लागू नहीं करने की वकालत की गई। साथ ही इस मुद्दे पर कोई भी कानूनी और वैधानिक फैसला लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया।
पंजाब के कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह लड़ाई जारी रहेगी। पंजाब सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह लड़ाई राजनीति नहीं बल्कि पंजाब की कृषि और किसानों को बचाने का प्रयास है। पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के इन कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने का फैसला किया है।
जानकारी दी गई है कि इन कृषि कानूनों को खारिज करने के लिए 19 अक्टूबर को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित होगा। पंजाब के मंत्रिमंडल ने यह फैसला मिलकर लिया है।
इस फैसले के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ ऐसा करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य हो जाएगा। कृषि कानूनों के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस पंजाब में एक ही रुख अपनाए हुए हैं। ऐसे में विधानसभा में इन कानूनों को खारिज करने के लिए समर्थन मिलना संभव है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले दिनों केंद्र सरकार को किसानों के घाव पर नमक छिड़कने वाला और उनके प्रति दुर्भावना रखने वाला बताया था। वहीं बादल ने इसे पंजाब के लोगों, और किसानों की बुद्धिमता का अपमान करार दिया था।