प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जैनाचार्य श्री वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज की 151 वीं जयंती के अवसर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ‘स्टेच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण करेंगे। इसकी जानकारी पीएम करके दी। 151 इंच ऊंची अष्टधातु प्रतिमा विजय वल्लभ साधना केंद्र, जेटपुरा में स्थापित की जाएगी।
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “आज दोपहर 12:30 बजे, जैनचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज के 151 वें जयंती समारोह को चिह्नित करने के लिए ‘स्टैच्यू ऑफ़ पीस’ का अनावरण करेंगे। कार्यक्रम देखते हैं।”
At 12:30 today afternoon, will unveil the ‘Statue of Peace’ to mark the 151st Jayanti celebrations of Jainacharya Shree Vijay Vallabh Surishwer Ji Maharaj. Do watch the programme.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2020
राजमार्ग 162 पर जेतपुरा स्थित विजय वल्लभ साधना केंद्र जैन तीर्थ में सोमवार को जैनाचार्य श्री मद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की करीब 13 फुट ऊंची मूर्ति का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीसी से लोकार्पण करेंगे। जानकारी के अनुसार, वल्लभ सूरीश्वरजी का जन्म गुजरात के बड़ोदा में विक्रम संवत 1870 में हुआ था।
आजादी के समय खादी स्वदेशी आंदोलन में भी उनका बड़ा सहयोग रहा। आचार्यश्री खुद खादी पहनते थे। 1947 में देश विभाजन के समय आचार्यजी का पाकिस्तान के गुजरावाला में चातुर्मास था, उस समय सभी को हिंदुस्तान के लिए निकाला जा रहा था, तब जैनाचार्य ने कहा था कि जब तक एक भी जैन साहित्य, जैन मूर्ति, जैन लोग असुरक्षित हैं तब तक वो नहीं जाएंगे।
ब्रिटिश सरकार ने उनको भारत लाने के लिए विशेष विमान भेजा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। आखिर सितंबर 1947 को पैदल विहार करते हुए अपने 250 अनुयायियों के साथ वह हिंदुस्तान पहुंचे। उन्होंने ने अपने साथ आए अनुयायियों के पुनर्वास सुनिश्चजित किया। साथ ही समाज के लिए शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत काम किया।
वहीं, पंजाब व राजस्थान सहित कई राज्यों में शिक्षण संस्थाएं व अस्पताल संचालित किए जा रहा है। गुरुदेव ने अपने हाथों से 50 संस्थाओं की स्थापना की थी। जानकारी के मुताबिक, ददेश मे दो वल्लभ हुए और दोनों गुजरात के हैं। एक सरदार वल्लभ भाई पटेल और दूसरे वल्लभ सूरी सुरेश्वरजी हैं।
दोनों की मूर्ति का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। 151 इंच की अष्ट धातु से बनी मूर्ति जमीन से 27 फिट ऊंची है। इसका वजन 1300 किलो है। इस मूर्ति का नाम ‘स्टेच्यू ऑफ पीस’ है। आज को साढ़े बारह बजे लोकार्पण कार्यक्रम होगा।
संत वल्लभ ने अपनी वाणी से देश की जनता में भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा किया। उनका स्वप्न था कि भारत के नागरिक देश की महान संस्कृति के अनुसार सबके प्रति प्रेम और सौहार्द भाव रखें। वे भारतीय संस्कृति का मेरुदंड अहिसा और प्रेम को मानते थे।
उनकी नजर में जातिमद, सांप्रदायिक भेदभाव और धार्मिक कट्टरता का भारतीय संस्कृति में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने राष्ट्र धर्म को विशेष महत्व दिया और हिदू मुस्लिम एवं समस्त संप्रदायों की एकता का अथक प्रयास किया।
उन्होंने भारतवासियों को एकता का संदेश देते हुए कहा कि हिदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, आर्य समाज आदि भारत की संतान हैं। सबको एक विशाल कुटुम्ब के समान समझना और उनकी सेवा करना, यही प्रत्येक भारतवासी का धर्म है। सेवा ही असल में सच्ची पूजा, सच्ची नमाज और सच्ची गुरुवाणी है।