इस कदम से देश में खनिजों का उत्पादन बढ़ेगा और अधिक मिनरल ब्लॉकों की नीलामी हो सकेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि माइंस एंड मिनरल (डेवलपमेंट और रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में संशोधन के जरिए ये सुधार हो सकेंगे। सुधारों से जुड़े प्रस्तावों को हरी झंडी मिलने के साथ खदानों से जुड़े विरासत से संबंधित मुद्दे सुलझ जाएंगे और बड़ी संख्या में खदान नीलामी के लिए उपलब्ध होंगे। इससे केवल नीलामी की व्यवस्था मजबूत होगी और व्यवस्था में और अधिक पारदर्शिता आएगी।
इसके लिए एमएमडीआर एक्ट की धारा 10(ए) (2) (बी) और 10 (ए)(2)(सी) में संशोधन की जरूरत होगी। इन सुधारों के तहत कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों के बीच के अंतर को खत्म किया जाएगा। विभिन्न तरह के वैधानिक भुगतान के लिए एक नेशनल मिनरल इंडेक्स के विकास के जरिए एक इंडेक्स आधारित मैकेनिज्म विकसित किया जाएगा।
इसके अलावा एक्स्पलोरेशन के काम को और अधिक मजबूती देने के लिए नेशनल मिनरल एक्स्पलोरेशन ट्रस्ट (NMET) के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद NMET को एक स्वायत्त संस्था बनाया जाएगा। इन सुधारों के बाद निजी कंपनियां भी अब एक्स्पलोरेशन का काम कर पाएंगी। एक्स्पलोरेशन के काम को सरल किए जाने के बाद एक्स्पलोरेशन से लेकर प्रोडक्शन तक का काम आसानी से हो पाएगा। इनके अलावा डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) से जुड़े दिशा-निर्देशों में संशोधन के लिए भी अनुमति दी गई है।