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आपकी जन्म कुंडली के अष्ट्म भाव में छिपा है आपकी मृत्यु का कारण, जानिएं कैसे होगी आपकी मौत

By: RNI Hindi Desk 
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आपकी जन्म कुंडली के अष्ट्म भाव में छिपा है आपकी मृत्यु का कारण, जानिएं कैसे होगी आपकी मौत

रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली: जन्मकुंडली वो पत्रिका होती है जिसमें व्यक्ति के जन्म काल से मृत्युकाल तक का सारा ब्यौरा लिखा होता है। जन्मकुंडली में स्थित ग्रहचालों को देख ज्योतिषी शुभ-अशुभ संकेतों के बारे में बता देते है। कुंडली में स्थित ग्रहों की दृष्टि के आधार पर आसानी से पता किया जा सकता है कि व्यक्ति की मृत्यु कब और कहां होगी।

बता दें कि व्यक्ति की आयु या फिर मृत्यु के बारे में जानने के लिए अष्टम भाव का विचार करने के साथ-साथ शुभ-अशुभ ग्रहों और ग्रह युक्तियों का संबंध देख लेना भी उचित रहता है। तो चलिए आज हम आपको बताते है अष्टम् भाव में स्थित राशि और ग्रहचालों के हिसाब से मनुष्य की मृत्यु के बारे में-

जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य अष्टम भाव में हो उसकी मृत्यु अग्नि से होती है। यह अग्नि किसी भी प्रकार की हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से, पेट्रोल-डीजल, गैस, वाहन या अन्य सभी प्रकार की अग्नि।

और अगर अष्टम भाव में चंद्र हो तो व्यक्ति की मृत्यु जल से होती है। नदी, तालाब, समुद्र, कुएं, बावड़ी में डूबने से। जल जनित रोगों आदि से मृत्यु होती है।

अगर कुंडली के अष्टम भाव में मंगल विराजमान हो तो अस्त्र-शस्त्र, चाकू, छुरी से कटने से मृत्यु होती है। किसी आकस्मिक दुर्घटना में शरीर में अनेक कट लगने से मृत्यु हो सकती है।

अष्टम भाव में बुध हो तो व्यक्ति की मृत्यु किसी प्रकार के ज्वर, बुखार, संक्रमण, वायरस, बैक्टीरिया आदि से हो सकती है।

अष्टम भाव में बृहस्पति होने पर मृत्यु अजीर्ण, अपच, पेट रोगों से होती है। फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है।

अष्टम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति की मृत्यु भूख से होती है। अर्थात् किसी रोग के कारण जातक कुछ खा न पाए या समय पर कुछ खाने को न मिले तो मृत्यु हो सकती है।

जन्मकुंडली में अष्टमस्थ शनि हो तो व्यक्ति की मृत्यु प्यास या पानी की कमी से होती है। ऐसे जातक को किडनी रोग या जल की कमी से होने वाले रोगों के कारण मृत्यु होती है।

 

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