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मानव की बुद्धि से परे है उसके शरीर का संचालन, पढ़े

By: RNI Hindi Desk 
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मानव की बुद्धि से परे है उसके शरीर का संचालन, पढ़े

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }

अगर हम मानव शरीर की कल्पना करें तो दिल और दिमाग काम करना बंद कर देता है। हर शरीर असंख्य कोशिकाओं से बना हुआ है। अगर आप देखे तो रक्त महज एक तरल पदार्थ है लेकिन उसकी उपयोगिता सबसे अधिक है।

रक्त शुद्ध होना बड़ा जरुरी है वरना शरीर को कई बीमारियां अपना शिकार बना सकती है। मनुष्य यह कहता है की यह मकान मेरा है और इसमें ईंट, पत्थर मैने लगवाएं है लेकिन ये भी सिर्फ उसकी कल्पना ही है।

हकीकत तो यह है कि समय आने पर मकान भी शरीर की तरह नष्ट हो जाता है। इसलिए ज्ञानी मनुष्य जीवन में कभी भी मोह माया को प्रधानता नहीं देता है।

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{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }

देखा जाए तो चींटी से लेकर हाथी तक सबकी कार्यप्रणाली अलग अलग है। उनका खाना, सोना, भोजन, प्रजनन सब अलग है। इंसान को उस कार्यप्रणाली को समझने में सदियों का समय लग जाएगा।

लेकिन जबसे विज्ञान ने ईश्वर को चुनौती दी है तबसे उसका सामना खतरों से हो रहा है। दवाई बनाने के लिए कई मासूम जानवरों को पीड़ित किया जाता है। उसे उनके हिसाब से नहीं रहने दिया जाता है।

यही कारण है की जब जब ईश्वर की प्रकृति को चुनौती दी गई है तब तब कोई ना कोई संकट और महामारी इस पृथ्वी पर आ गई है।

आज कोरोना से प्यूरी दुनिया परेशान है और इस बीमारी से हमे बस एक ही सबक मिला है की मानव शरीर को अच्छे से समझकर ज्ञान अर्जित करने में समय लगाएं ना की ईश्वर की सत्ता को चुनौती दे।

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