कार्तिक माह हिन्दू धर्म के लिए बेहद ख़ास है। एक सप्ताह तक चलने वाले दीपोत्सव के बाद छट पूजा का पर्व आता है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छटी तिथि को मनाया जाता है।
इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 20 नवंबर दिन शुक्रवार को की जाएगी। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार संतान और गृहस्थ सुख की कामना से इस व्रत को किया जाता है।
इस व्रत को करने के कुछ नियम भी है ! जैसे षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है।
षष्ठी तिथि को भगवान् सूर्य नारायण की सेवा पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का विधान है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा का आरंभ होता है। इस दिन को नहाय-खाय की परंपरा होती है। इस साल 18 नवंबर दिन बुधवार 2020 को नहाय-खाय का दिन रहेगा।
आपको इस पूजा में कुछ विशेष चीजों का भी ध्यान रखना है। इन दिनों पूरी पवित्रता का ध्यान रखें। हाथ पैर धोकर प्रसाद तैयार करें। इस दौरान कभी भी मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
छठी माई के प्रसाद को पैर नहीं लगाना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य देते समय चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के बने बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। छठ व्रत करने वाले को कभी भी किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का वास्तविक लाभ व्रती को नहीं मिलता है।
इसके अलावा जहां प्रसाद बन रहा हो वहां भी बैठकर कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इससे भी आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है।