नई दिल्ली : ‘चल गया ए मुसाफिर मुझे अकेला छोड़कर, मैं इस जहान में तुझे ढूंढ़ रहा हूं अपने पलकों की ओट से।‘ ऐसा ही कुछ देखने के मिला एक श्मशान घाट में। जहां एक कुत्ता अपनी मालिक के इंतजार में उसकी कब्र की निगरानी कर रहा है। कभी वह खुद को उस कब्र की मिट्टी पर लेटाता, तो कभी अपने मुंह को उस कब्र की मिट्टी में छिपाता। तो कभी उसके आंखों से आंसूओं की धारा बहती।
आपको बता दें कि ये भावुक दृश्य है उत्तर तुर्की के कायमाकली जिले का। ‘डेली स्टार’ की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी तुर्की के कायमाकली जिले में रहने वाले ओमर गुवेन (Omer Guven) करीब 12 साल पहले अपनी पत्नी को खो चुके थे। उसके बाद से ही उन्होंने आवारा बिल्लियों और कुत्तों की देखभाल करना शुरू कर दिया। उन्हें इलाके में एक पशु प्रेमी के रूप में जाना जाता था।
ओमर ने 11 साल पहले एक जर्मन शेफर्ड डॉग (German Shepherd) की देखभाल शुरू की थी, जिसका नाम ‘फेरो’ (Fero) रखा था। इतने लंबे समय साथ के रहने के बाद दोनों के बीच गहरी ‘दोस्ती’ हो गई। लेकिन इस बीच 29 अक्टूबर को, ओमर बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
दफनाने के बाद भी कब्र के पास ही खड़ा रहा ‘फेरो’
ओमर के शव को जब ताबूत में रखा गया, तो उनका वफादार कुत्ता ताबूत के पास खड़ा होकर उसकी निगरानी कर रहा था। दफनाने के बाद भी वह ओमर की कब्र के पास ही खड़ा रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, जब सारे अपने-अपने घरों को लौट गए तब भी ‘फेरो’ कब्र के पास ही मौजूद रहा। वह कभी मिट्टी में अपना सिर रगड़ता तो कभी टकटकी लगाकर अपने मालिक की कब्र को निहारता।
‘फेरो’ से बहुत प्यार करता था ओमर..
ओमर की बेटी सेविलय सुरुल ने कहा कि, “मेरे पिता ‘फेरो’ से बहुत प्यार करते थे। ‘फेरो’ मेरे पिता को खोने पर बहुत दुखी था। सुरुल ने आगे बताया कि, “उसने दो दिनों तक न तो कुछ खाया और न ही सोया। मेरे पिता का फेरो के साथ एक विशेष बंधन था।”
वहीं कायमाकली समुदाय के नेता टेमेल यिलमाज़ ने कहा कि, “अंकल ओमर ने जानवरों की बहुत देखभाल की। जब उनका निधन हुआ तो फेरो टूट गया। हमने फेरो की आंखों से आंसू भी बहते हुए देखे।”