रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: गुजरात के बहुचर्चित इशरत जहां एनकाउंटर केस में CBI कोर्ट ने तीन क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को बरी कर दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा की आतंकी थी। कोर्ट ने आगे कहा कि इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता, कोर्ट ने ये कहते हुए तीनों अधिकारियों को बरी करने का फैसला सुनाया।
Ishrat Jahan encounter case: CBI court discharges last three accused police officials including Tarun Barot and GS Singhal
— ANI (@ANI) March 31, 2021
केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल CBI जज वीआर रावल ने बुधवार को जी एल सिंघल, तरुण बारोट (अब सेवानिवृत्त) और अंजू चौधरी को बरी करने का फैसला सुनाया। आपको बता दें कि अदालत ने कहा कि इशरत को आतंकवादी नहीं मानने का कोई कारण नजर नहीं आता है। पुलिस अधिकारियों ने जिस घटना को अंजाम दिया वह परिस्थिति जन्य थी तथा उनके द्वारा यह जानबूझकर किया गया है ऐसा नहीं लगता है। सीबीआई द्वारा साल 2013 में दायर पहली चार्जशीट में सात पुलिस अधिकारियों पांडे, वंजारा, अमीन, सिंघल, बड़ौत, परमार और चौधरी को आरोपी बनाया था।
इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने साल 2019 में पूर्व पुलिस अधिकारियों डी जी वंजारा और एन के अमीन को बरी कर दिया है। इसके साथ ही साल 2018 में पूर्व प्रभारी पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे को भी बरी कर दिया गया। सुनवाई के दौरान आरोपी बनाए गये परमार की मृत्यु हो गई थी। वहीं बुधवार को जी एल सिंघल, तरुण बारोट (अब सेवानिवृत्त) और अंजू चौधरी को भी बरी कर दिया है।
सुनवाई करते हुए जज वीआर रावल ने कहा, ”प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे यह साबित नहीं होता कि इशरत जहां समेत चारों लोग आतंकी नहीं थे।“ आपको बता दें कि इशरत जहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी, इस मुठभेड़ में चारों मारे गए थे।
इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। इस मामले में पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे, और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। जबकि इस केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था।