रिपोर्ट- पल्लवी त्रिपाठी
महाराष्ट्र : कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक होती जा रही है। कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र और दिल्ली में देखने को मिल रहा है। ऐसे में अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड्स, इंजेक्शन व अन्य स्वास्थ्य उपकरणों की कमी देखने को मिल रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहाँ एक बुजुर्ग ने अपना बेड एक जरूरतमंद को दे दिया। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है। उस युवा को पहले इलाज की जरूरत हैं। बुजुर्ग को उचित इलाज न मिले पर उनकी मौत हो गई।
बता दें कि नागपुर के रहने वाले नारायण भाऊराच दाभाड़कर खुद कोरोना संक्रमित थे। ऑक्सीजन का लेवल 60 तक पहुंच गया था। जिसके बाद उनकी बेटी और दामाद ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया। वे जब बुजुर्ग को लेकर इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल पहुंचा, तो वहाँ बेड की किल्लत के चलते पहले से ही मारामारी थी। लेकिन काफी मशक्कत के बाद बेड मिला और बुजुर्ग का इलाज चलने लगा।
इसी बीच एक महिला अपने कोरोना संक्रमित पति के इलाज के लिए अस्पताल पहुंची। लेकिन बेड की कमी होने की वजह से अस्पताल ने महिला के 40 साल के पति को भर्ती करने से मना कर दिया था। महिला डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाती रही। हालांकि, बेड न होने की वजह से मरीज को भर्ती नहीं किया गया।
जिस पर बुजुर्ग ने अपना बेड 40 वर्षीय मरीज को देने का फैसला किया। उन्होंने कहा- ‘मैंने अपनी जिंदगी जी ली है। मेरी उम्र 85 साल है। इस महिला का पति युवा है। उसे बेड दे दिया जाए।’ ये कहते हुए दाभाड़कर घर वापस लौट गए।
जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने कंसेंट फॉर्म पर साइन करा लिए। बुजुर्ग की जगह युवक को भर्ती कर लिया और उसका इलाज चलने लगा। हालांकि, तीन दिन बाद बिना उचित इलाज न मिलने से दाभाड़कर की मौत हो गई। अब लोग दाभाड़कर की सराहना कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी परवाह न करते हुए किसी और के इलाज के लिए अपना बेड दे दिया।