भारत सरकार ने कपड़ा निर्यात को बढ़ाने की बड़ी योजना बनाई है। सरकार के अनुसार, वर्तमान में कपड़ा निर्यात 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिसे 2030 तक तीन गुना बढ़ाकर 9 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने और वैश्विक बाजार में भारत की पहुंच का विस्तार करने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक
भारत वैश्विक स्तर पर छठा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। 2023-24 में भारत के कुल निर्यात में कपड़ा उद्योग का योगदान 8.21% रहा। अमेरिका और यूरोपीय संघ भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात का 47% हिस्सा रखते हैं। इस उद्योग की वैश्विक व्यापार में 4.5% हिस्सेदारी है, जो इसे भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
‘भारत टेक्स 2025’ में टेक्सटाइल क्षेत्र की मजबूत भागीदारी
दिल्ली में हाल ही में आयोजित ‘भारत टेक्स 2025’ सरकार के “फार्म से फाइबर, फैब्रिक, फैशन और फॉरेन मार्केट” विजन को गति देने का मंच बना।
🔹 इस मेगा इवेंट में 5,000 से अधिक प्रदर्शकों ने हिस्सा लिया।
🔹 120 से अधिक देशों से 1.2 लाख से अधिक ट्रेड विजिटर्स शामिल हुए।
🔹 14 से 17 फरवरी तक हुए इस आयोजन में 2.2 मिलियन वर्ग फीट के विशाल क्षेत्र में प्रदर्शनी आयोजित की गई।
इस आयोजन ने भारत के टेक्सटाइल उद्योग की क्षमता, इनोवेशन और वैश्विक सहयोग को प्रदर्शित किया।
वैश्विक कपड़ा केंद्र बनने की ओर भारत
भारत का कपड़ा उद्योग 45 मिलियन (4.5 करोड़) लोगों को प्रत्यक्ष और 100 मिलियन (10 करोड़) लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। इसमें महिलाओं और ग्रामीण श्रमिकों की बड़ी भागीदारी है। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण, नवाचार और टेक्नोलॉजी के उन्नयन पर लगातार काम कर रही है, जिससे भारत वैश्विक कपड़ा केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
भारत के प्रमुख टेक्सटाइल हब
🔹 गुजरात – सूती और पॉलिएस्टर कपड़े के लिए प्रसिद्ध।
🔹 तमिलनाडु – टेक्सटाइल मिलों का प्रमुख केंद्र।
🔹 पंजाब – ऊनी वस्त्रों के उत्पादन में अग्रणी।
🔹 पश्चिम बंगाल – जूट और सिल्क टेक्सटाइल का प्रमुख केंद्र।
भारत का टेक्सटाइल उद्योग औद्योगिक विनिर्माण और कारीगर उत्पादन का अनोखा मिश्रण है, जो परंपरा और आधुनिकता दोनों को दर्शाता है। परिधान और फैशन सेक्टर देश के जीडीपी और रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।