Farmers movement will end with the new proposal of the government; संयुक्त किसान मोर्चा की बड़ी बैठक । तीन कृषि क़ानून वापस लेने पर सरकार हुई मजबूर।
मुमताज़ आलम रिज़वी
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की जानिब से पांच सूत्रीय प्रस्ताव के बाद किसान जल्द अपना धरना ख़त्म कर सकते हैं। सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाज़ीपुर बॉर्डर पर पिछले एक साल से धरना दे रहे किसान अब शायद मान जाएं। तीन कृषि क़ानून की वापसी के बाद आज बड़ी बैठक हुई थी जिसके बाद प्रेसवार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा ने इशारा दिया है। वह बुधवार को धरने के ख़त्म करने का का एलान कर सकते हैं। ख़बर यह है कि सरकार की तरफ से पांच सूत्रीय प्रस्ताव दिया है जिस पर ग़ौर करने के बाद किसान मोर्चा फ़ैसला लेगा। ख़बर है कि केंद्र सरकार के मसौदे के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्य एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में शामिल किए जाएंगे। वहीं, सरकार ने एक साल के भीतर किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को भी वापस लेने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा इस मसौदे में पंजाब मॉडल पर मुआवजा देने की बात भी है। खबरों के मुताबिक केस वापसी पर हरियाणा, यूपी राज़ी हैं। वहीं बिजली बिल 2020 को लेकर भी सरकार का रुख लचीला है।
सरकार ने पराली जलाने पर आपराधिक धाराएं खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है। आंदोलन वापस लेने पर किसानों पर इस दौरान दर्ज सभी केस वापस होंगे। एमएसपी पर चर्चा के लिए कमेटी गठित होगी। इसमें एसकेएम के नेता शामिल होंगे।
बैठक के बाद आंदोलन की वापसी पर किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि इस बारे में बुधवार को फैसला लिया जाएगा। केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर पूरी तरह सहमति नहीं बनी है। समिति सिंघु बॉर्डर पर चल रही बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के पूर्ण निकाय के साथ मसौदा साझा कर रही है। किसानों की जानिब से मांग है कि आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं बिजली बिल और पराली बिल को निरस्त किया जाए
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए। अगर इन मांगो पर सहमति बनती है तो आंदोलन वापस हो जाएगा और अब यह सहमति बनती दिखाई दे रही है।