नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव नियमों पर चल रहे विवाद के बीच एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए चुनाव आयोग को मतदान प्रक्रिया की वीडियो क्लिप संरक्षित रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मुद्दे पर दायर याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक यह वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाए।
चुनाव नियमों पर विवाद के बीच आया सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। यह निर्देश याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दायर याचिका पर दिया गया, जिसमें चुनाव आयोग के मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1200-1500 तक बढ़ाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी रिकॉर्डिंग संरक्षित रखना अनिवार्य होगा।
याचिकाकर्ता ने मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के फैसले को बताया मनमाना
याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह ने कोर्ट में दलील दी कि चुनाव आयोग का मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय बिना किसी ठोस डेटा के लिया गया है। इस फैसले से आगामी चुनावों में मतदाताओं पर असर पड़ेगा और मतदान प्रक्रिया प्रभावित होगी।
लंबी कतारें और मतदाताओं का अधिकार प्रभावित होने की आशंका
याचिका में यह भी कहा गया कि एक मतदान केंद्र पर मतदान 11 घंटे तक चलता है और औसतन एक व्यक्ति को वोट डालने में 60-90 सेकंड लगते हैं। ऐसे में, एक ईवीएम पर अधिकतम 660 से 990 लोग ही वोट डाल सकते हैं।
यदि मतदान प्रतिशत 85-90% तक पहुंच जाता है, तो कई मतदाता या तो लंबे इंतजार के कारण वोट नहीं डाल पाएंगे या फिर मतदान समय समाप्त होने के बाद भी कतार में खड़े रह जाएंगे।
लोकतंत्र में पारदर्शिता के लिए कोर्ट की सख्ती
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की याचिका पर भी केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था, जिसमें 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन और सीसीटीवी फुटेज की सार्वजनिक पहुंच पर आपत्ति जताई गई थी।
क्या है आगे की राह?
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे की सुनवाई करेगा, लेकिन तब तक चुनाव आयोग को मतदान प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग संरक्षित रखनी होगी। यह आदेश चुनाव पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।